कम हुई नक्सलियों की दहशत, पहली बार नक्सल सप्ताह में भी खुले रहे साप्ताहिक बाजार

कम हुई नक्सलियों की दहशत, पहली बार नक्सल सप्ताह में भी खुले रहे साप्ताहिक बाजार

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-30 10:23 GMT
कम हुई नक्सलियों की दहशत, पहली बार नक्सल सप्ताह में भी खुले रहे साप्ताहिक बाजार

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। नक्सल सप्ताह के दौरान पहली बार जनता दहशतमुक्त नजर आ रही है। हर बार नक्सलग्रस्त कोरची तहसील नक्सली सप्ताह के दौरान बंद रहती है। पिछले 14 वर्षों से यहां यही सिलसिला चल रहा है, लेकिन इस वर्ष पुलिस विभाग द्वारा तहसील के नागरिकों में जागृति किए जाने पर नक्सली सप्ताह में कोरची का बाजार शुरू रहा। वहीं तहसील के ग्रामीण अंचल में बाजार खुले रखे गए। इस कारण इस तहसील में नक्सलियों की दहशत कम होने की बात कही जा रही है। 

 

 

नक्सल सप्ताह के दूसरे दिन अहेरी तहसील के देचलीपेठा में ग्रामीणों ने नक्सलियों के प्रतीकात्मक पुतले फूंके। साथ ही नक्सल विरोधी रैली भी निकाली। भामरागड़ तहसील के कोठी गांव में नक्सली हमले में मारे गए व्यक्ति का स्मारक बनाकर उसे श्रद्धांजलि दी गई और नक्सल आंदोलन का जमकर विरोध भी किया।  

बता दें कि गड़चिरोली जिला निर्माण के कुछ वर्षों बाद यहां नक्सलवाद पनपा। देखते ही देखते नक्सलवाद की जड़ें मजबूत होने से आज यह जिला नक्सलग्रस्त कहलाने लगा है। जिले में अब तक नक्सली लगभग 500 लोगों की हत्या कर चुके हैं। साथ ही सरकारी संपत्ति को हानि पहुंचाने समेत अनेक हिंसक वारदातों को अंजाम दिया गया है। अब नक्सलियों द्वारा 28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सल सप्ताह मनाने का आह्वान किए जाने से दुर्गम क्षेत्र का जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

उधर क्षेत्र के ग्रामीण नक्सली आंदोलन का विरोध भी करते दिखाई दे रहे हैं। सप्ताह के दूसरे दिन देचलीपेठा के ग्रामीणों ने नक्सलियों के प्रतीकात्मक पुतले  तैयार कर जला दिए। गांव के साथ अन्य तहसीलों में भी नक्सल विरोधी रैली निकाली गई।

गौरतलब है कि, भामरागड़ तहसील के कोठी गांव निवासी सिंधु पेका लेकामी  की नक्सलियों ने वर्ष 2000 में हत्या की थी। ग्रामीणों ने सिंधु लेकामी का स्मारक तैयार कर उसे श्रद्धांजलि दी। साथ ही नक्सल आंदोलन का विरोध किया। इसके अलावा जिले के अन्य क्षेत्रों में भी नक्सल आंदोलन का विरोध किया गया। 

दुर्गम क्षेत्र के गांवों की हॉल्टिंग बसें बंद 
नक्सल सप्ताह के मद्देनजर रापनि ने दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्र के गांवों में जाने वाली हाल्टिंग बसें बंद कर दी हैं। इस संबंध में गड़चिरोली डिपो से मिली जानकारी के अनुसार डिपो ने कोई भी बस फेरी बंद नहीं की है। सिर्फ अतिसंवेदनशील गांवों तक सप्ताहभर बस नहीं जाएगी। वहीं दुर्गम क्षेत्र की हाल्टिंग बस सेवा बंद की गई है। 

Similar News