बगैर सरकारी मदद के बनाई सोलर कार, सड़क पर दौड़ी तो लोगों ने कहा- वाह

बगैर सरकारी मदद के बनाई सोलर कार, सड़क पर दौड़ी तो लोगों ने कहा- वाह

Tejinder Singh
Update: 2018-07-08 10:20 GMT
बगैर सरकारी मदद के बनाई सोलर कार, सड़क पर दौड़ी तो लोगों ने कहा- वाह

नीरज दुबे, नागपुर। देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर हो-हल्ला मचता रहता है, लेकिन ये कीमतें कम नहीं होतीं। इससे निजाद दिलाने उपराजधानी के एक शख्स ने सोलर कार बना डाली। लोग इसे पसंद भी कर रहे हैं और उसका लुत्फ भी उठाना चाहते हैं। दिलीप चित्रे दोपहिया और कार को सौर ऊर्जा से सड़क पर दौड़ा रहे हैं। हालांकि दिलीप चित्रे अब भी सरकार के सहयोग के इंतजार में हैं। चित्रे साल 1995 से शौकिया तौर पर सोलर पैनल से मशीन और वाहनों को संचालित करने पर काम कर रहे हैं। 2005 तक अपने सोलर उत्पादों को व्यावसायिक रूप देना चाहते थे, लेकिन सरकार के विभागों से प्रोत्साहन और मान्यता नहीं मिलने के चलते यह संभव नहीं हो पाया। आखिरकार अब दिलीप चित्रे ने अपने परिचित और मित्रों के घर और कार्यालयों में अपने प्रयोग को क्रियान्वित कर दिया है।

चल सकते हैं घरेलू उपकरण
दिलीप चित्रे की अनूठी तकनीक में दुर्घटना की संभावना नहीं होती है। इसके साथ ही उपभोक्ता को इंन्वर्टर के बगैर सहज और निरंतर बिजली आपूर्ति होती रहती है। वर्तमान में बिजली के बल्ब समेत सभी उपकरण लो वोल्टेज पर चलते हैं, जबकि पारंपरिक बिजली की आपूर्ति हाई वोल्टेज पर होती है। इसके चलते बिजली के नुकसान का प्रभाव भी बिल में दिखाई देता है। दिलीप चित्रे की तकनीक में बगैर इन्वर्टर के बैटरी से लो वोल्टेज सोलर ऊर्जा आपूर्ति होती है। इसके चलते बिजली की आपूर्ति बंद होने पर भी कम वोल्ट में उपकरण संचालित होते हैं।

इस तकनीक से प्रतापनगर चौक के समीप गुरुदेव हीरो शो रूम में 140 लाइट्स संचालित हो रहे है। यह उपकरण सुबह 9 से रात 9 बजे तक संचालित होते हंै। इसके लिए करीब 1.40 लाख रुपए खर्च आया है। इससे रोजाना करीब 12 यूनिट व्यावसायिक यूनिट की बचत होने से सालभर में लागत खर्च निकल चुका है। इस तकनीक में कम्प्यूटर, लाइट व घरेलू उपकरण भी चल सकते हैं। दिलीप चित्रे के घर पर भी 350 वॉट पर 32 लाइट संचालित हो रहे हैं।

उपराजधानी में मेडिकल चौंक परिसर में एक अनोखी कार अकसर सड़कों पर दौड़ती नजर आती है। कार की छत पर सोलर का पैनल लगे होने के चलते राहगीराें की नजर ठहर जाती है। ड्राइविंग स्कूल के संचालक दिलीप चित्रे की अनोखी तकनीक वाली कार सौर ऊर्जा से दौड़ती है। इतना ही नहीं कई बार नौसिखिए भी इस कार का ट्रायल लेना चाहते हैं। दिलीप चित्रे ने दो साल पहले बैटरी ऑपरेटेड कार को सोलर पैनल लगाकर संचालित करना शुरू किया था।

इतना ही नहीं अपने प्रयोगों से प्रतापनगर के समीप दोस्त के मोटरसाइकिल शोरूम और वर्कशाप को भी सौर ऊर्जा से रोशन कर रहे हैं। हालांकि ऐसा करना आसान नहीं था। राजनीतिक दलों के नेताओं के सामने इसका प्रजेंटेशन भी हुआ लेकिन इस प्रयोग को आगे बढ़ाने या सरकारी सहायता दिलवाने में कोई मदद नहीं की। पिछले दो दशकों से खुद के संसाधन और अनुसंधान से बिजली के उपकरण, सौर ऊर्जा संचालित वाहनों को दिलीप चित्रे बना चुके है। सरकार भले ही दिलीप चित्रे के प्रस्ताव पर ध्यान नहीं दे रही हो लेकिन वे शहर का मान बढ़ाने में जुटे हुए हैं।

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