कार्बन स्टॉक असेसमेंट पर वर्कशॉप, सभी ने कहा- पेड़ों को मत छेड़ो, जान हैं हमारी

कार्बन स्टॉक असेसमेंट पर वर्कशॉप, सभी ने कहा- पेड़ों को मत छेड़ो, जान हैं हमारी

Anita Peddulwar
Update: 2019-08-22 06:45 GMT
कार्बन स्टॉक असेसमेंट पर वर्कशॉप, सभी ने कहा- पेड़ों को मत छेड़ो, जान हैं हमारी

डिजिटल डेस्क,नागपुर। पेड़ों ने कितना कार्बन डाइआक्साइड अवशोषित किया है, इसकी गणना कार्बन स्टाॅक असेसमेंट के आधार पर की जा सकती है। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) नई दिल्ली ने इसके लिए गणना पद्धति तैयार की है। इसे विश्व स्तर पर मानक माना गया है। वृक्षों में जितना अधिक कार्बन डाइआक्साइड स्टॉक होगा, वे पर्यावरण के लिए उतना ही अहम होंगे। महाराष्ट्र वन विभाग की ओर से टेरी के सहयोग से कार्बन स्टॉक असेसमेंट पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 

कार्बन फुटप्रिंंट कम करना जरूरी

19 से 21 अगस्त तक सिविल लाइंस स्थित चिटणवीस सेंटर में आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन 19 अगस्त को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) उमेश कुमार अग्रवाल ने किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे के मद्देनजर प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण के लिए कार्बन फुटप्रिंंट कम करने के लिए उपाय करना जरूरी है। 

ये हुए शामिल

कार्यशाला में टेरी के संचालक जेवी शर्मा, पीके जोशी, आरिफ अली व राज्य वन विकास महामंडल नागपुर के मुख्य प्रबंधक रामबाबू, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (अर्थसंकल्प, नियोजन व विकास) साईप्रकाश, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक(उत्पादन व प्रबंधन) प्रवीण श्रीवास्ताव, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) नितीन काकोदर, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संधारण) शैलेश टेंभुर्णीकर, मुख्य वन संरक्षक( प्रा) नागपुर कल्याण कुमार और प्रभुनाथ शुक्ला शामिल हुए।

उत्तर प्रदेश में कार्बन स्टॉक एसेसमेंट का उपयोग 

टेरी के आरिफ अली ने बताया कि उत्तर प्रदेश के दस वन कंपार्टमेंट में इस विधि के उपयोग से पेड़ों में कार्बन स्टॉक की गणना की गई है। इनमें से तीन कंपार्टमेंट के विश्व स्तर पर फंड उपलब्ध कराने के प्रस्ताव आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वन पर्यावरण  व वनाेपज के साथ-साथ कार्बन स्टॉक की दृष्टि से भी लोगों के लिए लाभकारी हैं। इसकी समझ बढ़ने पर लोगों पेड़ों को संरक्षित रखने की रुचि बढ़ जाएगी। 

कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने का लक्ष्य

वर्ष 2015 में पेरिस में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन सीओपी-21 में भारत ने वर्ष 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने की घोषणा की थी। इसके लिए बड़े स्तर पर पौधारोपण की आवश्यकता है। कार्बन स्टॉक गणना से इस संबंध में सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 
 

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