युवा संस्था 18 राज्यों के 25 शहरों में करेगी संवाद, अच्छा आवास सबका मौलिक अधिकार पर जनजागरण

युवा संस्था 18 राज्यों के 25 शहरों में करेगी संवाद, अच्छा आवास सबका मौलिक अधिकार पर जनजागरण

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-05 06:34 GMT
युवा संस्था 18 राज्यों के 25 शहरों में करेगी संवाद, अच्छा आवास सबका मौलिक अधिकार पर जनजागरण

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विभिन्न शहरों में उपयुक्त आवास के अधिकार तथा जबरन बेदखल से निपटने के लिए यूथ फॉर यूनिटी एंड वॉलंटरी एक्शन के एंटी इविक्शन सपोर्ट सेल द्वारा नागपुर से जीरो इविक्शन कारवां आवास अधिकार के लिए अभियान की शुरुआत की गई है। यह कारवां 18 राज्य के 25 शहरों में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर किया जा रहा है। अपने दो महीने के अंतराल में यह कारवां इन शहरों में जाकर स्थानीय संस्थाओं, संगठनों, अधिवक्ताओं, शिक्षक व समुदायों के साथ संवाद स्थापित करेगा। इसके अलावा स्थानीय संघर्षों को राष्ट्रीय पटल पर लाना और विभिन्न शहरों में लोगों के उपयुक्त आवास की मांगों को भी आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। 

30 मार्च को दिल्ली में समापन
प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में युवा संस्था के अंकित झा, मेहजेबिन रहमान, नितीन मेश्राम व शहर विकास मंच के शैलेंद्र वासनिक, अनिल वासनिक ने बताया कि अभियान के तीन मुख्य उद्देश्य है। मालकी पट्टा किस तरह उपयुक्त आवास को संभव कर सकता है, नागपुर में विकास योजनाएं तथा शहरी गरीबों के लिए आवास सहित शहर में आवास के लिए लोगों की मांग पर चर्चा केंद्रित है। नागपुर में यह कारवां शुरू होकर जबलपुर, भोपाल तथा अन्य शहर होते हुए दिल्ली में 30 मार्च को समाप्त होगा। युवा संस्था ने बताया कि उपयुक्त आवास का अधिकार मानव अधिकार पर सार्वभौमिक घोषणा, 1948 के 30 मानव अधिकारों में से है। इसका मुख्य विवरण संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों पर सम्मेलन, 1966 अनुच्छेद में मिलता है।

उन्होंने कहा कहा कि इस समय में भारत में 31.6 फीसदी शहरी आबादी है, जिसमें करीब 18 फीसदी आबादी बस्तियों में निवास करती है। आने वाले समय में यह आबादी और बढ़ेगी। ऐसे में आवास का अधिकार व उपयुक्त आवास का प्रश्न अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। केंद्रीय योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना तथा स्मार्ट सिटी आदि के क्रियान्वयन के कारण भी ये प्रश्न उठना आवश्यक है। नागपुर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, जहां देश में चौथी सबसे अधिक बस्ती की आबादी है। नागपुर में करीब 36 फीसदी आबादी बस्तियों में रहती है। उपयुक्त आवास के अधिकारों की रक्षा करने में सकारात्मक कदम उठाने के मामले में नागपुर देश के पहले शहरों में से है। जहां राज्य सरकार के फैसले के कारण लोगों को घर का मालकी पट्टा मिलना प्रारंभ हो चुका है। इस सबके बावजूद लोगों से उपयुक्त आवास के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत करना आवश्यक है। 
 

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