गर्भवती महिलाओं को खटिया पर डालकर लाना पड़ता है अस्पताल, जान हथेली पर रखकर रेल पटरी पार करते हैं बच्चे

समस्या गर्भवती महिलाओं को खटिया पर डालकर लाना पड़ता है अस्पताल, जान हथेली पर रखकर रेल पटरी पार करते हैं बच्चे

Tejinder Singh
Update: 2022-09-29 12:52 GMT
गर्भवती महिलाओं को खटिया पर डालकर लाना पड़ता है अस्पताल, जान हथेली पर रखकर रेल पटरी पार करते हैं बच्चे

डिजिटल डेस्क, शेगांव. तहसील के ग्राम एकफल के निवासियों तक अब तक बुनियादी सुविधाए पहुंची नहीं। जिले के शेगांव तहसील के ग्राम एकफल के युवाओं को शादी की चिंता सता रही हैं। सिर्फ  इस गांव की कन्याओं को ही विवाह उचित वर आसानी से खुद चलकर आते हैं, लेकिन विवाह उचित युवाओं को सिर्फ आस लगाए बैठे रहना पड़ता हैं। क्योंकि यहां आने जाने के लिए मार्ग नहीं होने से विवाह उचित युवाओं को अपनी कन्या देने के लिए कोई तैयार नहीं हैं। इसलिए इस गांव के 40 से 50 युवा आज भी अविवाहित हैं। दूसरी ओर गांव की महिलांए, स्कूली छात्र, नौकरी करने वाले हर दिन जानलेवा सफर कर रहे हैं। जान हथेली पर रखकर रेल पटरी पार करते हुए आना-जाना करना पड़ता हैं। यही ग्रामीण की त्रासदी हैं।

लेकिन बरसों से इन ग्रामीणों की गुहार सुनने के लिए कोई भी तैयार दिखाई नहीं देता। मार्ग नहीं होने से रेल पटरी पार करने को मजबूर इन ग्रामीण को रेल पटरी पार करते समय कभी यदि दुर्घटना घटी तो उसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा? जिले के सिर्फ 500 जनसंख्या का ग्राम एकफल गांव शेगांव शहर से आठ किलोमीटर दूरी पर हैं। दूरी कम होने के बाद भी यहां के ग्रामीणों को शेगांव पहुंचने के लिए  कम से कम दो घंटे लगते हैं। ग्रामीणों को आलसणा होते हुए जाना पड़ता हैं। लेकिन आलसणा गांव तक पहुंचने के लिए मार्ग ही नहीं हैं। तीन किलो मीटर के मार्ग का निर्माण को मंजूरी मिली हैं। लेकिन कुछ जमिनों के अधिग्रहण में रूकावट के चलते काम रूका हुआ हैं। इसलिए ग्रामीणों को रेलवे पुलिया से सटे हुए खतरनाक मार्ग से आलसणा तक पैदल जाना होता हैं।

फिलहाल बरसात में कमर तक जल भराव होकर मार्ग भी बंद हो जाता हैं। ग्रामीणों के साथ ही छात्रों को भी जान जोखिम में डालकर रेल पटरी पार कर जाना होता हैं। यहां के ग्रामीणों को एक किलोमीटर की रेल पटरी पर से यात्रा करते समय साक्षात रब की याद आती हैं।

Tags:    

Similar News