Chaitra Navratri 2024: सभी सिद्धियों को देने वाली हैं मां सिद्धिदात्री, आराधना से मिलेगा सम्पूर्ण नवरात्रि की उपासना का फल

  • पूजा से भक्तों को विशेष सिद्धियों की प्राप्ति होती है
  • मां सिद्धिदात्री की आराधना भगवान शिव भी करते हैं
  • देवी के आशीर्वाद से शिवजी अर्द्धनारीश्वर रूप में आए

Manmohan Prajapati
Update: 2024-04-16 08:23 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। दुर्गा पूजा के सबसे बड़े पर्व के समापन पर देवी के नौवें स्वरूप की आराधना की जाती है। यह दिन माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) को समर्पित है। इस दिन को महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। देवी के इस रूप को देवी का पूर्ण स्वरूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, केवल इस दिन मां की उपासना करने से सम्पूर्ण नवरात्रि की उपासना का फल मिल सकता है। यह देवी सभी सिद्धियों को देने वाली है इसलिए भक्तजन इनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। चैत्र नवरात्रि की नवमीं तिथि 17 अप्रैल 2024, बुधवार को है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से भक्तों को विशेष सिद्धियों की प्राप्ति होती है। देवीपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने सिद्धियां प्राप्त करने के लिए मां सिद्धिदात्री का तप किया था, जिसके बाद उनका आधा शरीर स्त्री का हुआ। देवी के आशीर्वाद के कारण ही भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर के रूप में जाने गए। आइए जानते हैं माता के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...

माता सिद्धिदात्री का स्वरूप

मां सिद्धिभुजा दात्री का स्वरुप आभामंडल से युक्त है। माता सिद्धिदात्री चार भुजा धारी वाली रक्ताम्बरी वस्त्रों को धारण कर कमल पर विराजमान हैं। मां के बाईं भुजा में मां ने गदा धारण किया है और दाहिने हाथ से मां कमल पकड़ा है और आशीर्वाद दे रही हैं। मां के हाथों में शंख और सुदर्शन चक्र भी है। इनके सिर पर बड़ा और ऊंचा सा स्वर्ण मुकूट और मुख पर मंद मंद सी मुस्कान माता सिद्धिदात्री का परिचय है।

पूजा विधि

- नवरात्रि के बांकी दिनों की भांति अंतिम दिन भी सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत् हों।

- इसके बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य दें और व्रत का संकल्प लें।

- इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से माता का पूजन करें।

- इसके बाद मां की आरती और हवन करना चाहिए।

- हवन करते समय व्यक्ति को सभी देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए।

- इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज अर्थार्त अस्त्र, शस्त्र, योगनियों एवं अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान बताया गया है।

- फिर माता सिद्धिदात्री का नाम लेना चाहिए।

- इस दौरान दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र पढ़ें।

- भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करें फिर मां की अराधना करें।

- मां के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें।

- माता सिद्धिदात्री को प्रसाद चढ़ाएं।

मां सिद्धिदात्री मंत्र-

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

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