देखते ही देखते गायब हो जाता है अरब सागर का ये शिव मंदिर

देखते ही देखते गायब हो जाता है अरब सागर का ये शिव मंदिर

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-08 04:31 GMT

 

डिजिटल डेस्क, वडोदरा। भगवान शिव के हर मंदिर की अपनी अलग ही विशेषता एवं मान्यता है। आज हम आपको वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी.कंबोई गांव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो दिन में दो बार नजरों से ओझल अर्थात गायब हो जाता है। ये प्रक्रिया सुबह और शाम प्रतिदिन होती है। इसे स्तंभेश्वर शिवलिंग के नाम से जाना जाता है। यह अनोखा मंदिर अरब सागर के बीच कैम्बे तट पर मौजूद है। मंदिर के गायब होने और वापस नजर आने की ये प्रक्रिया सदियों से जारी है। 

 

शिवलिंग का आकार 4 फुट ऊंचा 

बताया जाता है कि मंदिर को करीब डेढ़ सौ साल पहले खोजा गया था। इसमें विराजे शिवलिंग का आकार 4 फुट ऊंचा है। मंदिर पर खड़े होने से अरब सागर नजर आता है वह भी बेहद खूबसूरत। यह दिन में दो ज्वार भाटा की वजह से गायब होता है। यहां आने वाले लोगों को इस बात से सचेत करने के लिए यहां पर्चे बांटे जाते हैं जिसमें ज्वार भाटा आने का समय लिखा होता है। 

 

 

पौराणिक मान्यता के अनुसार

पौराणिक मान्यता है कि राक्षक ताड़कासुर ने पहले कठिन तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया उसके बाद अत्याचार करने लगा। उसके वध के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ। कहा जाता है कि कार्तिकेय ने सिर्फ 6 दिन की आयु में ही ताड़कासुर का वध कर दिया था। जिस स्थान पर उसका वध हुआ था मंदिर वहीं बना है। मान्यता है कि ताड़कासुर के जब शिव भक्त होने की बात कार्तिकेय को पता चली तो वे व्यतीथ हो गए और भगवान विष्णु के कहने पर उन्होंने ही इस तीर्थ की स्थापना की थी। इसे ही आज भक्त स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जानते हैं। यहां आने वाले भक्त जीवन में शांति का अनुभव करते हैं क्योंकि वध के पश्चात अपने मन को शांत करने के लिए कार्तिकेय ने इसका निर्माण किया था। 

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