जानें इस एकादशी का महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त

अजा एकादशी जानें इस एकादशी का महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त

Manmohan Prajapati
Update: 2021-08-31 11:11 GMT
जानें इस एकादशी का महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद मास जिसे भादों के नाम से भी जाना जाता है, की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस एकादशी को अजा एकादशी और अन्नदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। वैसे तो साल भर में एकादशी करीब 24 एकादशी आती हैं, लेकिन इस एकादशी के बारे में कहा गया है कि यह विशेष फल देने वाली होती है। माना जाता है कि इस दिन जो भी जातक व्रत रखने के साथ ही भगवान श्री हरी विष्णु जी की विधि विधान से पूजा करता है, उसकी हर प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस एकादशी के व्रत को करने से जीव के जन्म-जन्मांतरों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भाग्य भी उदय हो जाता है। इस दिन भगवान श्री हरी विष्णु जी के उपेन्द्र रुप की विधिवत पूजा की जाती है। इस बार अन्नदा या अजा एकादशी का व्रत 3 सितंबर 2021 को है। क्या है इस एकादशी का महत्व और कैसे करें पूजा, आइए जानते हैं...

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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 2 सितंबर गुरुवार, सुबह 06 बजकर 21 मिनट से 
तिथि समापन: 3 सितंबर शुक्रवार, सुबह 7 बजकर 44 मिनट तक
व्रत पारण का समय: 4 सितंबर, शनिवार सुबह 5 बजकर 30 मिनट से सुबह 8 बजकर 23 मिनट तक 

महत्व
पुराणों में बताया गया है कि जो व्यक्ति श्रृद्धा पूर्वक अजा एकादशी का व्रत रखता है उसके पूर्व जन्म के पाप कट जाते हैं और इस जन्म में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। अजा एकादशी के व्रत से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है और मृत्यु के पश्चात व्यक्ति उत्तम लोक में स्थान प्राप्त करता है। 

पूजा विधि
हर माह की प्रत्येक एकादशी को जिस तरह व्रत से पहले संकल्प लेते हैं, ठीक उसी प्रकार संकल्प लें।
- सूर्योदय से पूर्व उठें और नित्यक्रम से निवृत्त होकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और पहले हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें। 
- घर के मंदिर को गंगा जल अथवा गोबर से लीप लगाकर शुद्ध करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

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- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को पुष्प और दीप, नेवैद्य एवं फल अर्पित करें।
- भगवान की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।
- भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।
- ध्यान रहे भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
- व्रत के दौरान एक समय फलाहार करें।

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