सबरीमाला अय्यप्पा स्वामी, यहां नजर आती है मकर ज्योति, देखते हैं लाखों भक्त

सबरीमाला अय्यप्पा स्वामी, यहां नजर आती है मकर ज्योति, देखते हैं लाखों भक्त

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-12 05:23 GMT
सबरीमाला अय्यप्पा स्वामी, यहां नजर आती है मकर ज्योति, देखते हैं लाखों भक्त

डिजिटल डेस्क, केरल। अयप्पा उत्सव का दक्षिण भारत में अत्यधिक महत्व है। यहां यह धूमधाम से मनाया जाता है। अयप्पा मंदिर में लाखों श्रद्धालु इस दौरान पहुंचते हैं। यह उत्सव 15 नवम्बर से 14 जनवरी तक मनाया जाएगा। केरल के सबरीमालामलई में अयप्पा स्वामी मंदिर स्थित है। इस मंदिर के बारे में भी अनेक मान्यताएं हैं कहा जाता हैं, लेकिन एक खास तरह का चमत्कार है जो हर साल ही यहां होता है। आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं। 

दरअसल, इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात थोड़ी-थोड़ी देर में एक ज्योति दिखाई देती है। जब ये रोशनी नजर आती है तो इसके साथ कुछ आवाज भी आती है। यह सब घने अंधेरे में होता है, जो किसी आश्चर्य से कम नही है। इस ज्योति को लेकर मान्यता है कि खुद भगवान इसे जलाते हैं। ये एक मकर, देव ज्योति है।

यह मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है। अयप्पा उत्सव सबरीमालामलई का प्रमुख उत्सव है। मलयालम पंचांग के पहले पांच दिनों और विशु माह अर्थात अप्रैल में ही इस मंदिर के पट खुल जाते हैं। यहां 10 से 50 साल तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जि है। सबरीमालामलाई नाम सबरीमाला के नाम पर ही पड़ा है। सबरीमाला, रामायण में राम की वह भक्त जिसने उन्हें अपने जूठे बेर खिलाए थे। 

हरि के मोहनी रूप को अयप्पा की मां माना जाता है। इनका नाम हरिहर पुत्र भी है। हर साल संक्रांति के अवसर पर यहां लाखों भक्त पहुंचकर दिव्य ज्योति के दर्शन करते हैं। इस अवसर पर भक्त अयप्पा की मूर्ति का अभिषेक घी से करते हैं। यहां का पूजन दृश्य दक्षिण भारत की परंपरा व संस्कृति के अनुसार ही बेहद अद्भुत होता है। इसी अवसर पर पहाड़ की कांतामाला चोटी से एक असाधारण ज्योति नजर आती है। अयप्पा की शोभायात्रा भी बेहद अनोखी होती है। इनके समस्त आभूषणों को संदूक में रखा जाता है और पंडालम राजमहल से इनकी शोभायात्रा निकाली जाती है। 

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