वाग्देवी देंगी ये वरदान, इस दिन करें विशेष पूजा

वाग्देवी देंगी ये वरदान, इस दिन करें विशेष पूजा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-08 19:40 GMT
वाग्देवी देंगी ये वरदान, इस दिन करें विशेष पूजा

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बसंत पंचमी को वाग्देवी का अवतरण माना जाता है। ये मां सरस्वती का ही एक रूप हैं। इस तिथि को वागीश्वरी जयंती, श्रीपंचमी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा अर्चना करने से कला, विद्या एवं बुद्धि का वरदान प्राप्त होता है। 

 

इनकी साधना को समर्पित

ऋग्वेद में मां सरस्वती की महिमा का वर्णन सुंदर शब्दों में मिलता है। कहा जाता है जिनकी भी जीव्हा पर मां सरस्वती का वास होता है। वे सदा ही मीठा बोलते हैं। वे कुशाग्र, विद्वान व तीव्र बुद्धि के मालिक होते है। बसंत पंचमी का दिन इनकी ही साधना को समर्पित है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा गुणों में वृद्धि की कारक मानी गई है। 

 

सौम्य स्वरूप

पुराणों में वाग्देवी का स्वरूप चार भुजाधारी, सौम्य, जटाजुट युक्त, मस्तक पर अर्धचंद्र धारण किए हुए मिलता है। विभिन्न रत्न आभूषणों से सुशोभित यह देवी मां सरस्वती के मनमोहक स्वरूप को प्रकट करती हैं। 

 

विद्या आरंभ व पूजन की प्रमुख तिथि

माघ शुक्ल पंचमी बसंत पंचमी सरस्वती पूजन की प्रमुख तिथि मानी गई है। सनातन परंपरा में यह तिथि विद्या आरंभ करने की भी तिथि मानी गई है। वैदिक साहित्य में मां सरस्वती का उल्लेख नदी और देवी दोनों ही रूपों में आता है। नदी जिसमें स्नान कर पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है। देवी का सौम्य स्वरूप जिसके आशीर्वाद से विवेक के नवीन मार्ग खुलते हैं। 

 

इसी दिन पुनः प्राप्त की थी विद्या

ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि बसंत पंचमी के दिन ही याज्ञवल्क्य मुनि ने गुरू के श्राप से मुक्त होकर मां वाग्देवी सरस्वती के वरदान से पुनः विद्या प्राप्त की थी, जिसकी वजह से इनके पूजन का विशेष विधान इसी दिन शुभ माना जाता है। 
 

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