भीष्म द्वादशी आज: जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि

भीष्म द्वादशी आज: जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि

Manmohan Prajapati
Update: 2021-02-23 06:12 GMT
भीष्म द्वादशी आज: जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह 24 फरवरी 2021 बुधवार को आ रही है। इस द्वादशी को गोविंद द्वादशी भी कहते हैं। इस व्रत को करने वालों को संतान की प्राप्ति होकर समस्त धन-धान्य, सौभाग्य का सुख मिलता है। 

पद्मपुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। 

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पूजा विधि
- भीष्म द्वादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- भगवान की पूजा में केले के पत्ते व फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मौली, रोली, कुम-कुम, दूर्वा का उपयोग करें। 
- पूजा के लिए दूध, शहद केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार कर प्रसाद बनाएं व इसका भोग भगवान को लगाएं।
- इसके बाद भीष्म द्वादशी की कथा सुनें। 
- देवी लक्ष्मी समेत अन्य देवों की स्तुति करें तथा पूजा समाप्त होने पर चरणामृत एवं प्रसाद का वितरण करें। 
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं व दक्षिणा दें। 
- ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करें और सम्पूर्ण घर-परिवार सहित अपने कल्याण धर्म,अर्थ,मोक्ष की कामना करें।

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मान्यता
मान्यता है कि भीष्म द्वादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भीष्म द्वादशी पर भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की आराधना करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं व सामर्थय के अनुसार दक्षिणा दें। इस दिन स्नान-दान करने से सुख-सौभाग्य, धन-संतान की प्राप्ति होती है। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करें। इस उपवास से समस्त पापों का नाश होता है। भीष्म द्वादशी का उपवास संतोष प्रदान करता है।

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