चैत्र नवरात्रि 2021: नवरात्रि के आखिरी दिन करें माता सिद्धिदात्री की पूजा, इस मंत्र का करें जाप

चैत्र नवरात्रि 2021: नवरात्रि के आखिरी दिन करें माता सिद्धिदात्री की पूजा, इस मंत्र का करें जाप

Manmohan Prajapati
Update: 2021-04-19 05:19 GMT
चैत्र नवरात्रि 2021: नवरात्रि के आखिरी दिन करें माता सिद्धिदात्री की पूजा, इस मंत्र का करें जाप

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा पूरे नौ दिनों तक की जाती है। इस दौरान कई भक्त व्रत रखकर भी मां दुर्गा की उपासना करते हैं। चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। पुराणों की अनुसार माता सिद्धिदात्री की उपासना स्वयं देवों के देव महादेव शिव भी करते हैं।

मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। आइए जानते हैं माता के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...

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माता सिद्धिदात्री का रूप 
माता सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर आशीन चार भुजा धारी वाली रक्ताम्बरी वस्त्रों को धारण किए होती होती हैं। इनके हाथों में क्रमशः सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमलपुष्प रहता है। इनके सिर पर बड़ा और ऊंचा सा स्वर्ण मुकूट और मुख पर मंद मंद सी मुस्कान माता सिद्धिदात्री का परिचय है।

पूजा विधि
- सबसे पहले मां की तस्वीर या मूर्ति रखें। 
- इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से माता का पूजन करें। 
- इसके बाद मां की आरती और हवन करना चाहिए। 
- हवन करते समय व्यक्ति को सभी देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। 
- इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज अर्थार्त अस्त्र, शस्त्र, योगनियों एवं अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान बताया गया है।
- फिर माता सिद्धिदात्री का नाम लेना चाहिए। 

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- इस दौरान दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र पढ़ने चाहिए। 
- इन मंत्रों के साथ ही आहुति दें। 
- मां के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें। 
- भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करें फिर मां की अराधना करें। 
- माता सिद्धिदात्री को प्रसाद चढ़ाएं।  

मां सिद्धिदात्री मंत्र-
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

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