चैत्र नवरात्रि : मां सिद्धिदात्री देंगी सभी प्रकार की सिद्धियां
चैत्र नवरात्रि : मां सिद्धिदात्री देंगी सभी प्रकार की सिद्धियां
डिजिटल डेस्क, भोपाल। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन है। सुबह 08 बजकर 15 मिनिट पर अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी। दोनों तिथियां एक साथ होने से मां के आठवें और नौवें स्वरूप की पूजा भी एक साथ ही की जाएगी। इसके साथ ही भगवना श्रीराम की जन्मतिथि भी इसी दिन है, तो इसके साथ राम नवमी भी मनाई जाएगी।
नवरात्रि की नवमी तिथि को मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के इसी रूप को शतावरी और नारायणी भी कहा जाता है। दुर्गा के सभी प्रकारों की सिद्धियों को देने वाली मां की पूजा का आरंभ मां के उक्त मंत्र से करना चाहिए।
"या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।"
मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। नवदुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक आराधना करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि, साधक और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले भक्त सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। इससे उन्हें यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। सिद्धिदात्री देवी उन सभी भक्तों को महाविद्याओं की अष्ट सिद्धियां प्रदान करती हैं, जो सच्चे मन से उनके लिए आराधना करते हैं। मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को भी मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई है।
अपने सांसारिक स्वरूप में देवी सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं।
नवमी के दिन करें कंजिका पूजन
नवरात्रि के आखिर दिन यानि नवमी वाले दिन खीर, ग्वारफली और दूध में गूंथी पूरियां, इलायची और पान कंजक यानि कन्याओं को खिलाएं। उनके चरणों पर महावर और हाथों में मेहंदी लगाएं। नवमी के दिन घर पर हवन करवाएं। जितनी अधिक कन्याएं उसमें अपने नन्हें हाथों से समिधा डालेंगी। आपको उतना ही अधिक पुण्य फल प्राप्त होगा।