देवशयनी एकादशी 2021: भगवान विष्णु की पूजा का है विशेष महत्व, चार महीनों तक नहीं होंगे कोई भी शुभ कार्य 

देवशयनी एकादशी 2021: भगवान विष्णु की पूजा का है विशेष महत्व, चार महीनों तक नहीं होंगे कोई भी शुभ कार्य 

Manmohan Prajapati
Update: 2021-07-19 08:51 GMT
देवशयनी एकादशी 2021: भगवान विष्णु की पूजा का है विशेष महत्व, चार महीनों तक नहीं होंगे कोई भी शुभ कार्य 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) कहा गया है। इसे हरिशयनी एकादशी, पद्मनाभा तथा प्रबोधनी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह 20 जुलाई, मंगलवार के दिन मनाई जा रही है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करने का महत्व होता है। इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं। माना जाता है कि, इस व्रत को करने से जातक की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तथा सभी पापों का नाश होता है। 

पुराणों के अनुसार, देवशयनी की इस रात्रि से भगवान का शयन काल आरंभ हो जाता है। इस शयन काल की अवधि चार मास की होती है, इस बीच भगवान विष्णु क्षीरसागर में होते हैं। चार मास की इस अवधि को चातुर्मास माना गया है। चातुर्मास के आगमन के साथ ही सभी तरह की शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है। माना जाता है की इस चार मास की इस अ​वधि में कोई मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। 

जुलाई 2021: इस माह आएंगे जगन्नाथ जी रथयात्रा सहित ये व्रत और त्यौहार

शालिग्राम की भी होती है पूजा  
इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा तो होती है। साथ ही शालिग्राम की पूजा करने को भी बहुत शुभ माना गया है। शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है इसलिए इनकी भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। भगवान के चित्र अथवा मूर्ति के साथ शालिग्राम को भी स्थापित करें। पूजा करने से पूर्व पंचामृत से भगवान विष्णु को स्नान करें।   

शुभ मुहूर्त:
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 19 जुलाई, सोमवार रात 9 बजकर 59 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 20 जुलाई, मंगलवार रात 7 बजकर 17 मिनट तक

आषाढ़ माह: जानें हिन्दू कैलेंडर के चौथे माह के बारे में, इन देवों की करें उपासना

कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा
- देवशयनी एकादशी व्रत का आरंभ दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाता है। 
- अगले दिन प्रात: काल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत होकर व्रत का संकल्प करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर आसीन कर उनका षोडशोपचार सहित पूजन करना करें।  
- पंचामृत से स्नान करवाकर भगवान की धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा करनी करें।  
- चंदन, धूप, घी, अक्षत और लौंग पूजा में शामिल करें।
भगवान को ताम्बूल, पुंगीफल अर्पित करने के बाद मन्त्र द्वारा स्तुति करना चाहिए।
- भोग में पीले रंग की मिठाई और फल चढ़ाएं।
- भोग के साथ तुलसी दल को भी रखें।
- पूजा के बाद भगवान विष्णु को चार महीनों की अवधि के लिए शयन कक्ष में विश्राम करने के लिए रखा जाता है।
- उनके साथ शालिग्राम को भी विश्राम करने दिया जाता है।

Tags:    

Similar News