गुरु ग्रह के कुण्डली के 12 भाव में प्रभाव एवं अशुभ गुरु के उपाय 

गुरु ग्रह के कुण्डली के 12 भाव में प्रभाव एवं अशुभ गुरु के उपाय 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-17 02:57 GMT
गुरु ग्रह के कुण्डली के 12 भाव में प्रभाव एवं अशुभ गुरु के उपाय 

डिजिटल डेस्क। ज्योतिष में गुरु नवग्रहों में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं। गुरु या बृहस्पति को कुंडली में ज्ञान का देवता माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति का पक्का घर नौवां होता है किन्तु यदि यह एक से पांच या बारहवें भाव में भी आए तो अच्छे फल ही देता है। जीवन में हर क्षेत्र में सफलता के पीछे गुरु ग्रह की स्थिति बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। कुंडली में अगर गुरु मजबूत हो तो भाग्य का चमकना बिल्कुल तय है।

 

सफलता के पीछे सकारात्मक उर्जा का होना विशेष होता है और सफलता देने का यही काम गुरु करते हैं। गुरु जीवन के अधिकतर क्षेत्रों में सकारात्मक उर्जा प्रदान करने में सहायक होते हैं।अपने सकारात्मक रूप के कारण व्यक्ति कठिन से कठिन समय को सहजता से सुलझा लेता है। गुरु ग्रह यदि उच्च या सकारात्मक हो तो आशावादी बनाता हैं और निराशा को जीवन में प्रवेश नहीं करने देता इसके फल स्वरूप सफलता स्वमं ही चरण पखारने लगती है और जब सफलता मिलती रहती है तब जीवन में प्रसन्नता भी आ ही जाती है।

 

 

कितु यही गुरु कमजोर हो नीच राशि का या वक्री हो तो अनेक प्रकार के कष्ट आते हे जीवन भार बन जाता हे मन सम्मान छीन जाता है।बनते हुए काम बिगड़ जाते हैं, किसी काम में यश नहीं मिलता, घर में धन,रूपए,पैसों की तंगी बनी रहती है और घर में किसी न किसी का स्वास्थ्य भी बिगड़ता बना रहता है। ऐसे में ये समझना बहुत आवश्यक है कि यदि आपकी कुंडली में गुरु कमजोर है तो उसे मजबूत कैसे करें और कैसे घर और जीवन में खुशहाली लाएं।

 

गुरु के प्रबल प्रभाव वाले जातकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है तथा आम तौर पर इन्हें अपने जीवन काल में किसी गंभीर आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता ऐसे जातक सामान्यतया विनोदी स्वभाव के होते हैं तथा जीवन के अधिकतर क्षेत्रों में इनका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है। ऐसे जातक अपने जीवन में आने वाले कठिन समस्याओं में भी अधिक विचलित नहीं होते तथा अपने सकारात्मक रूप के कारण इन कठिन समयों में से भी अपेक्षाकृत सहजता से निकल जाते हैं।

 

 

ऐसा जातक आशावादी होता हैं तथा निराशा का सामान्य रूप से इनके जीवन में लंबी अवधि के लिए प्रवेश नहीं होता जिसके कारण ऐसे जातक अपने जीवन के प्रत्येक पल का पूर्ण आनंद उठाने में सक्षम होते हैं। ऐसे जातकों के अपने आस-पास के लोगों के साथ मधुर संबंध होते हैं तथा आवश्यकता के समय वे अपने प्रियजनों की हर संभव प्रकार से सहायता करते एवं प्राप्त करते हैं।
 

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