संकटों से चाहते हैं मुक्ति तो जानिए तिल संकटा चतुर्थी का महत्व
संकटों से चाहते हैं मुक्ति तो जानिए तिल संकटा चतुर्थी का महत्व
डिजिटल डेस्क। सभी संकटों से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं तो करें इस बार की संकटा चौथ का व्रत। वर्ष 2019 का पहला संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत 24 जनवरी, गुरुवार को मनाया जा रहा है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकट या संकटा चौथ कहलाती है। इसे वक्रतुंडी चतुर्थी, माही चौथ, तिल अथवा तिलकूट चतुर्थी व्रत भी कहते हैं। पुराणों में इस संकट चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। विशेषकर महिलाओं के लिए इस व्रत को उपयोगी माना गया है। मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहां सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, वहीं इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति भी होती है।
इस दिन तिल दान करने का महत्व होता है। इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं में सर्वोच्च स्थान रखने वाले विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना जो लोग नियमित रूप से करते हैं, उनकी सुख-समृद्घि में बढ़ोतरी होती है। मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को संकटहरण भी कहा जाता है। माघ मास की यह चतुर्थी संक्रांति के आसपास आती है।
यहीं से सभी शुभ कार्य प्रारम्भ होते हैं इसलिए गणेशजी की उपासना का भी सबसे अधिक महत्व है। पूजन में अधिक सामग्री न भी हो तो सच्चे मन से की गई किसी भी देवता की आराधना का फल अवश्य मिलता है। इस दिन मंगलमूर्ति श्रीगणेश का पंचामृत से स्नान करने के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मौली अर्पित करना चाहिए। तिल से बनी वस्तुओं अथवा तिल-गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए। भगवान श्रीगणेश की अर्चना के साथ चंद्रोदय के समय अर्घ्य दिया जाता है। वर्ष 2019 में तिल-संकटा चौथ पर चंद्रोदय का समय 24 जनवरी, गुरुवार रात्रि 9.26 मिनट पर रहेगा। गणेश अथर्वशीर्ष के पाठ के साथ गणेश मंत्र - "ॐ गणेशाय नमः" का जाप 108 बार करना चाहिए।