त्रयोदशी को मिला देवताओं को धन, पढ़ें धनतेरस से जुड़ी रोचक कथाएं

त्रयोदशी को मिला देवताओं को धन, पढ़ें धनतेरस से जुड़ी रोचक कथाएं

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-14 03:34 GMT
त्रयोदशी को मिला देवताओं को धन, पढ़ें धनतेरस से जुड़ी रोचक कथाएं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। धनतेरस के दिन औषधियों और चिकित्सा के जनक भगवान धनवंतरी का अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था। वे अपने हाथ में भगवान धनवंतरी ने कलश में भरे हुए अमृत से देवताओं को अमर बना दिया। ऐसा भी मान्यता है कि धनवंतरी भगवान विष्णु का ही अवतार हैं। जो देवताओं और मानवजाति का उद्धार करने के लिए प्रकट हुए थे। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। इस बार धनतेरस 17 अक्टूबर 2017 काे है। आइए जानते हैं धनतेरस से जुड़ी राेचक कथाएं...

भगवान विष्णु की करें पूजा 

भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के बाद देवी लक्ष्मी भी अपने सुंदर रूप और धन-धान्य के साथ समुद्र मंथन से ही प्रकट हुईं। इन्होंने स्वयं ही भगवान विष्णु को वर लिया। इसलिए दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु की पूजा के बगैर अपूर्ण मानी गई है। देवी लक्ष्मी सदैव ही भगवान विष्णु के पीछे-पीछे चलती हैं। इसलिए जहां भी भगवान विष्णु का वास होता है वहां देवी लक्ष्मी अपनी कृपा अवश्य ही करती हैं। 

लिया था ये अवतार 

ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि वामन अवतार लेकर त्रयोदशी के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरों के गुरू शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी। भगवान वामन देव के रूप में राजा बलि से तीन पग भूमि मांगने पहुंचे थे। इस दौरान संकल्प लेते वक्त शुक्राचार्य उन्हें रोकने का प्रयास किया और कलश में समां गए। इस पर वामन भगवान ने हाथ में कुशा लेकर कलश को ऐसा पकड़ा कि उनकी एक आंख फूट गई। इसके बाद राजा बलि ने संकल्प लेकर तीन पग भूमि दान कर दी। जिसमें उनका सबकुछ चला गया और देवताओं को उनका राज्य पहले से अधिक धन संपदा के साथ प्राप्त हुआ है। इसलिए इस दिन को धन के आगमन के सूचक के रूप में जाना जाता है। 

दीपदान से मिलता है लाभ 

शास्त्रों में इस बारे में कहा गया है कि जिन परिवारों में धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है। वहां अकाल मृत्यु नहीं होती। घरों में दीपावली की सजावट भी धनतेरस से ही से प्रारम्भ हो जाती है। 

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