विजया एकादशी आज: भगवान राम ने इस विधि से धारण किया था ये व्रत

विजया एकादशी आज: भगवान राम ने इस विधि से धारण किया था ये व्रत

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-18 04:56 GMT
विजया एकादशी आज: भगवान राम ने इस विधि से धारण किया था ये व्रत

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक और व्रत है विजय एकादशी, जिसे फाल्गुन मास की कृष्ण एकादशी को मनाया जाता है। एकादशी के व्रत भगवान विष्णु को ही समर्पित होते हैं। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत धारण करने से ना सिर्फ समस्त कार्यों में सफलता मिलती है, बल्कि पूर्व जन्म के पापों का भी नाश हो जाता है। वहीं इसका पुण्य उस व्यक्ति को भी मिलता है जिसकी मृत्यु हो चुकी है आप आप उसकी आत्मा की शांति या मोक्ष की कामना से यह व्रत धारण कर रहे हैं। इस वर्ष यह 11 फरवरी 2018 को अर्थात आज मनाया जा रहा है।

 

 

व्रत धारण करने की विधि 
इस दिन भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर उनकी धूम, दीप, पुष्प, चंदन, फूल, तुलसी आदि से आराधना करें, जिससे कि समस्त दोषों का नाश हो और आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकें। भगवान विष्णु को तुलसी अत्यधिक प्रिय है अतः इस दिन तुलसी को आवश्यक रूप से पूजन में शामिल करें। भगवान की व्रत कथा का श्रवण और रात्रि में हरिभजन करते हुए उनसे आपके दुखों का नाश करने की प्रार्थना करें। रात्रि जागरण का पुण्य फल आपको अवश्य ही प्राप्त होगा। व्रत धारण करने से एक दिन पहले ब्रहमचर्य धर्म का पालन करते हुए व्रती को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। व्रत धारण करने से व्यक्ति कठिन कार्यों एवं हालातों में विजय प्राप्त करता है। 


नारद मुनि ने सुना था सबसे पहले महत्व 
पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि धर्मराज युधिष्ठिर ने द्वापर युग में फाल्गुन एकादशी के बारे में जानने की जिज्ञासा से इसके संबंध में भगवान कृष्ण से पूछा। तब भगवान कृष्ण ने उन्हें व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि इसके बारे में सबसे नारद मुनि ने ब्रम्हदेव से जाना था। ऐसी भी मान्यता है कि इस व्रत को भगवान श्रीराम ने सेना सहित धारण किया था, जिसके बाद उन्होंने लंका विजय का रहस्य जाना और माता सीता को मुक्त कराया। इसकी विधि प्रभु श्रीराम को मुनि वकदालभ्य द्वारा बतायी गई थी। श्रीराम के विजय प्राप्त करने की वजह से भी इसे विजया एकादशी कहा गया है। 
 

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