गंगा सप्तमी : 22 अप्रैल को है गंगा सप्तमी, जानिए कैसे करें गंगा मैया को प्रसन्न

गंगा सप्तमी : 22 अप्रैल को है गंगा सप्तमी, जानिए कैसे करें गंगा मैया को प्रसन्न

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-14 07:38 GMT
गंगा सप्तमी : 22 अप्रैल को है गंगा सप्तमी, जानिए कैसे करें गंगा मैया को प्रसन्न

डिजिटल डेस्क, भोपाल। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी कहा जाता है। इस बार ये तिथि 22 अप्रैल 2018 को है। इस दिन मां गंगा स्वर्गलोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थीं, इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। गंगा नदी को सभी नदियों में सबसे पवित्र माना जाता है। कहा जाता है गंगा नदी में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है। गंगा सप्तमी के दिन लोग अपनी सुबह की शुरुआत ही गंगा नदी में स्नान कर करते हैं। और गंगा घाट पर गंगा मैया की पूजा-अर्चना की जाती है।

गंगा मात्र एक नदी नहीं है बल्कि आस्था की देवी और प्राणदायिनी हैं। उद्योग कारखानों की रसायनों और गंदगी को अपने में समा लेने के बाद भी इसकी पवित्रता बरकरार है। गंगा का यही रहस्य इस नदी को देवी गंगा बनाता है। इसी की बदौलत लोगों की इसमें गहरी आस्था है। एक बार एक ऋषि ने गंगा के जल को पूरा पी लिया था। फिर देवताओं के अनुरोध और भगीरथ के तप से प्रसन्न होकर उन्होंने गंगा मैया को मुक्त किया। इस दिन को ही गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है।
 


क्यों मनाई जाती है गंगा सप्तमी 

अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए भगीरथ ने कड़ा तप कर गंगा मैया को पृथ्वी पर लाने में कामयाबी हीसिल की। भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटा में लपेटकर गंगा के अनियंत्रित प्रवाह को नियंत्रित तो कर लिया लेकिन बावजूद उसके भी गंगा मैया के रास्ते में आने वाले बहुत से वन, आश्रम नष्ट हो रहे थे। चलते-चलते वह जाह्नु ऋषि के आश्रम में पंहुच गईं। जब जाह्नु ऋषि ने गंगा द्वारा मचाई जा रही तबाही को देखा तो वे क्रोधित हो गए और गंगा का सारा पानी पी गए। भगीरथ को अपना प्रयास विफल दिखाई देने लगा। वह जाह्नु ऋषि को प्रसन्न करने के लिये तप पर बैठ गए। देवताओं ने भी महर्षि से अनुरोध कर गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने के महत्व के बारे में बताया। अब जाह्नु ऋषि का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने अपने कान से गंगा को मुक्त कर दिया। मान्यता है कि इसी कारण गंगा को जाहन्वी भी कहा जाता है। जिस दिन उन्होंने गंगा को अपने कान से मुक्त किया वो दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का दिन था। इसलिए इसे गंगा सप्तमी और जाह्नु सप्तमी भी कहा जाता है
 


गंगा सप्तमी पर कैसे करें गंगा मैया को प्रसन्न 

गंगा सप्तमी को गंगा मैया के पुनर्जन्म का दिन भी कहा जाता है इसलिये इसे कई स्थानों पर गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है। यदि गंगा नदी में स्नान करना संभव न हो तो गंगा जल की कुछ बूंदे साधारण जल में मिलाकर उससे स्नान किया जा सकता है। स्नानादि के पश्चात गंगा मैया की प्रतिमा का पूजन करना चाहिए। भगवान शिव की आराधना भी इस दिन शुभ फलदायी मानी जाती है। इसके अलावा गंगा को अपने तप से पृथ्वी पर लाने वाले भगीरथ की पूजा भी इस दिन की जाती है। इस दिन गंगा पूजन के साथ-साथ दान-पुण्य करने का भी फल मिलता है।

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