उच्चपद और ज्ञान के लिए इस सिद्ध मंत्र से करें मां सरस्वती की पूजा 

उच्चपद और ज्ञान के लिए इस सिद्ध मंत्र से करें मां सरस्वती की पूजा 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-21 03:22 GMT

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बसंत पंचमी का यही वह दिन है जब सारे संसार को वाणी प्राप्त हुई। इससे पूर्व संसार में संगीत का संचार नही था। हर ओर मौन छाया हुआ था। इसी मौन से व्यथीत होकर ब्रम्हदेव ने मां सरसस्वती का अवतरण किया। यह दिन बसंत पंचमी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कहा जाता है कि महाकवि कालिदास से लेकर वेदव्यास, तुलसीदास, महर्षि बाल्मीकी तक ने मां सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद ही महाभारत, रामायण जैसे बड़े-बड़े महाकाव्यों, ग्रंथों और पुराणों की रचना कर डाली। मां सरस्वती की प्रेरणा के बाद ही इन्हें ऐसे दिव्य ग्रंथों को रचने की शक्ति प्राप्त हुई। 


पवित्र नदी में स्नान कर 
पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि जब देवी सरस्वती का अवतरण हुआ तो ब्रम्हदेव के अनुरोध पर उन्होंने वीणा के तार पर जैसे ही अंगुलियां रखीं सारे संसार में वाणी का संचार हुआ। अनोखा संगीत गूंज उठा और प्रकृति की आभा को एक सुंदर स्वरूप प्राप्त हुआ। सामान्यतः मंदिरों में मां सरस्तवी की भव्य पूजा का अयोजन पंचमी के दिन किया जाता है, किंतु यदि आप शिक्षा के क्षेत्र में आगे जाना चाहते हैं या उच्चपद प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो पंचमी को सुबह पवित्र नदी में स्नान कर सूर्यदेव को अघ्र्य दें और मां सरस्वती के नाम से भी अघ्र्य देते हुए उनसे ज्ञान में वृद्धि की प्रार्थना करें। 


ज्ञान और बुद्धि के लिए
सूर्यदेव समस्त रोगों को हरने वाले एवं उर्जा का संचार करने वाले बताए हैं और बसंत का पीला रंग भी उर्जा का प्रतीक है। अतः इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर आप ज्ञान और बुद्धि दोनों साथ ही अर्जित कर सकते हैं। 


सरस्वती वंदना और इस मंत्र का जाप
ॐ एं सरस्वत्यै नमः... इस मंत्र को अति शक्तिशाली बताया गया है। यदि विधि-विधान से इसका जाप किया जाए तो देवी सरस्वती अवश्य ही आपकी प्रार्थना सुनती हैं। इसके अतिरिक्त सरस्वती वंदना प्रतिदिन करना भी अति उत्तम है। मां सरस्वती का पूजन यदि आप सरस्वती वंदना या मंत्रों के साथ की जाए तो निश्चित ही आपको उसका फायदा स्वयं में बेहद कम वक्त में ही नजर आने लगेगा। 

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