जानिए कैसे करें गुप्त नवरात्रि पर मां भगवती की आराधना

जानिए कैसे करें गुप्त नवरात्रि पर मां भगवती की आराधना

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-06 08:43 GMT
जानिए कैसे करें गुप्त नवरात्रि पर मां भगवती की आराधना

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवरात्रि मां भगवती की आराधना का पर्व है। इस पर्व को साल में दो बार धूम-धाम से मनाया जाता है और साल में दो बार गुप्त रूप से। एक साल में चार नवरात्रि आती हैं। पहली शारदीय नवरात्रि, दूसरी चैत्र नवरात्रि। वहीं गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है। आषाढ़ मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुप्त नवरात्री मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 14 जुलाई 2018 के दिन पड़ रही है।

मां भगवती के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है। "नवरात्र" शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर महानवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप, उपवास का प्रतीक है। नौ शक्तियों से मिलन को नवरात्रि कहते हैं। देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं।

वर्ष के प्रथम महीने अर्थात चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है। चौथे माह आषाढ़ में दूसरी गुप्त नवरात्रि होती है। इसके बाद अश्विन मास में तीसरी और प्रमुख नवरात्रि होती है। इसी प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात शुक्ल पक्ष माघ में चौथी गुप्त नवरात्रि का महोत्सव मनाने का उल्लेख एवं विधान देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।

 


इस नवरात्रि में राशि के अनुसार यदि कुछ विशेष उपाय करें तो धन और ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं रहती है।

मेष: इस राशि वाले जातक स्कंदमाता की आराधना करें एवं दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

वृषभ: ये जातक मां गौरी की पूजा करें और ललित सहस्त्रनाम का पाठ करें। इस उपाय से इन्हें अवश्य ही लाभ होगा।

मिथुन: इस राशि के जातक देवी यंत्र की स्थापना कर मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करें।

कर्क: इस राशि वाले लोग मां शैलपुत्री की आराधना करें और लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करें।

सिंह: मां कूष्मांडा की पूजा करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी। इस राशि वाले मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।

कन्या: इस रासि के जातक मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करें और लक्ष्मी यंत्र की स्थापना कर मां लक्ष्मी के मंत्रों का उच्चारण करें।

तुला: आपको महागौरी की पूजा से अवश्य ही लाभ होगा। इसके साथ ही काली चालीसा का भी पाठ करें।

वृश्चिक: इस राशि वाले लोग स्कं‍दमाता की पूजा करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

धनु: आपको मां चंद्रघंटा की आराधना से लाभ होगा एवं इनके मंत्रों का जाप करें।

मकर: आपको मां कालरात्रि की पूजा से शुभ फल प्राप्त होंगे। नर्वाण मंत्र का जाप आपके लिए अच्छा रहेगा।

कुंभ: मां कालरात्रि की पूजा करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी एवं साथ ही देवी कवच का पाठ भी करें।

मीन: आपको मां चंद्रघंटा की आराधना से लाभ होगा। हल्दी की माला से मां बगुलामुखी के मंत्रों का उच्चारण करें।

 


गुप्त नवरात्रि से जुड़ी कथाः 

पुराणों में लिखित कथा के अनुसार दैत्य राक्षस दुर्ग ने ब्रहमा को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके चारों वेद प्राप्त कर लिए। वेदों के नष्ट होने से देवता और ब्राह्मण अपने मार्ग से पथ भ्रष्ट हो गए अंत में ये मां दुर्गा की शरण में पहुंचे और दुर्ग राक्षस का संहार करने की प्रार्थना की। तभी मां के शरीर से काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगला, धूमावती, त्रिपुरसुंदरी, और मातंगी नामक दस महाविद्याएं प्रकट हुर्इं और दुर्ग राक्षस का संहार किया। तभी से गुप्त नवरात्रि मनाई जाने लगी।

दरअसल पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के काल में एक साल की चार संधियां होती हैं। जिनमें मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र आते हैं। जबकि अन्य दो संधियों में नवरात्रि आषाढ़ और माघ की नवरात्रि आती है जिसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है।

गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक तांत्रिक क्रियाओं के अलावा शैव साधनाएं, श्मसान साधनाएं और महाकाल साधनाएं करते हैं। जिसमें प्रलय एवं संहार के देवता महाकाल एवं महाकाली की पूजा की जाती है साथ ही भूत-प्रेत, पिशाच, बैताल, डाकिनी, शाकिनी, खण्डगी, शूलनी, शववाहनी, शवरूढ़ा आदि की भी साधना की जाती है।

 


गुप्त नवरात्रि की पूजा: 

जहां तक पूजा की विधि का सवाल है गुप्त नवरात्रि की पूजा भी अन्य नवरात्रि की तरह ही करना चाहिए। प्रतिपदा के दिन सुबह-शाम दोनों समय मां दुर्गा की पूजा की जाती है। जबकि अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत का उद्यापन किया जाता है। इन नौ दिनों तक प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भी विशेष फल मिलता है।

विशेष बात ये है कि गुप्त नवरात्रि के समय जो पूजा की जाती है वो किसी गुप्त स्थान में या किसी सिद्धस्त श्मसान में ही की जाती है। क्योंकि इस तरह की साधना के समय जिस तरह की शांति की आवश्यक होती है वो सिर्फ श्मसान में ही मिल सकती है। यहां साधक पूरी एकाग्रता के साथ अपनी साधनाएं संपन्न कर पाता है। वैसे कहा जाता है कि भारत में चार ऐसे श्मसान घाट हैं जहां तंत्र क्रियाओं का परिणाम बहुत जल्दी मिलता है। जिसमें असम के कामाख्या पीठ का श्मसान, पश्चिम बंगाल स्थित तारापीठ का श्मसान, नासिक और उज्जैन स्थित चक्रतीर्थ श्मसान का नाम बहुत विशेष है।

 


इन बातों का रखें विशेष ध्यानः 

नवरात्रि में मिटटी, पीतल, तांबा, चांदी या सोने का ही कलश स्थापित करें, लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग बिल्कुल ना करें। नवरात्रि के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। व्रत करने वाले भक्त को जमीन पर सोना चाहिए और केवल फलाहार करना चाहिए।

नवरात्रि में क्रोध, मोह, लोभ जैसे दुष्प्रवृत्तियों का त्याग करना चाहिए। घर में सूतक हो (किसी का घर में जन्म या मृत्यु हुई) तो घट स्थापना ना करें और यदि नवरात्रि के बीच में सूतक हो जाए तो कोर्इ दोष नहीं होता। नवरात्रि का व्रत करने वाले भक्तों को कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए।

जिसे अपनी जन्म राशि की जानकारी नहीं है वो लोग नवरात्रि के समय मां दुर्गा के नर्वाण मंत्र का जप एवं अनुष्ठान करें।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।
 

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