प्रकाश पर्व : तख़्त श्री पटना साहिब, इस शहर के लिए खास है यह तारीख

प्रकाश पर्व : तख़्त श्री पटना साहिब, इस शहर के लिए खास है यह तारीख

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-22 02:38 GMT
प्रकाश पर्व : तख़्त श्री पटना साहिब, इस शहर के लिए खास है यह तारीख

डिजिटल डेस्क, पटना। एक पुत्र, एक पिता, एक लेखक और एक योद्धा के रूप में अगर किसी का नाम गर्व से लिया जाता है तो वे हैं के गुरू गोबिंद सिंह। आज हम आपको उस स्थान की ओर लेकर जा रहे हैं जहां उनका जन्म हुआ था। यह स्थान है तख़्त श्री पटना साहिब जहां 22 दिसंबर 1666 ई. में सिखों के दसवें और अंतिम गुरू गोबिंद सिंह ने जन्म लिया था। सिख समुदाय में इस स्थान का विशेष महत्व है। गुरू गोबिंद सिंह सैनिक और संत दोनों कहलाए। यह स्थान सिखाें के तीन गुरूअाें से संबंधित है। प्रकाश पर्व के अवसर पर यहां का माहाैल देखते ही बनता है। इसे 25 दिसंबर काे मनाया जाएगा।


1708 तक सिखों के गुरू 
वे 29 मार्च 1676 ई. से 1708 तक गुरू गोबिंद सिंह सिखों के गुरू पद पर बने रहे। श्रीहरमिंदर जी पटना साहिब का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था। जिस समय सिखों के दसवें गुरू का संसार में आगमन हुआ उस समय उनके पिता गुरू मिशन के लिए असम की यात्रा पर थे। गुरू गोबिंद सिंह के बचपन का नाम बाल गोबिंद राय था। 


बचपन में धारण करते थे इन्हें
इनकी माता का नाम माता गुजरी था। जिनका कुआं आज भी यहां देखने मिलता है। यही नही यहां आज भी वह छोटी पाण है जिसे गुरू गोबिंद सिंह बचपन में धारण किया करते थे। इसके साथ ही लोहे की छोटी चकरी, छोटा बघनख खंजर, कमर-कसा यहां देखने मिलते हैं। इस स्थान की खासियत यहीं नहीं समाप्त होती। 


लकड़ी के खड़ाऊं 
यहां संदल लकड़ी का खड़ाऊं भी रखा हुआ है, जिसे गुरू तेग बहादुर जी महाराज पहना करते थे। पटना साहिब एक ऐसा स्थान है जहां पहुंचने पर आप गुरू की भक्ति और त्याग का अद्भुत नजारा देखेंगे। उनका बचपन भी यहीं गुजरा था, यही नहीं गुरू नानक सहित सिखों के तीन गुरुओं के चरण इस धरती पर पड़े हैं। इस वजह से भी यहां देश विदेश से सिख समुदाय के लाेगों का आगमन होता है।

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