हनुमान जयंती पर इन 12 नामों से करें स्तुति, जानिए इनकी महिमा

हनुमान जयंती पर इन 12 नामों से करें स्तुति, जानिए इनकी महिमा

Manmohan Prajapati
Update: 2019-04-17 09:16 GMT
हनुमान जयंती पर इन 12 नामों से करें स्तुति, जानिए इनकी महिमा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बजरंगबलि हनुमान का जन्मदिन चैत्र मास की पूर्णिमा जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 19 अप्रैल शुक्रावर को मनाया जा रहा है। हालांकि चैत्रपूर्णिमा 18 अप्रैल को शाम 6:42 से लग रही है जो 19 अप्रैल को 4:51 बजे तक रहेगी। शास्त्रानुसार, हनुमान जी को श्रीराम का परम भक्त माना जाता है और इसे जुड़ी कई कथाएं भी हैं। वैसे बजरंगबली के भक्तों में हनुमान जन्मोत्सव पर बहुत ही अधिक उत्साह रहता है और इस दिन उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए वे विशेषरूप से मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।

करें ये काम
हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। किसी शांत एवं एकांत कमरे में पूर्व दिशा की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठें। स्वयं लाल या पीली धोती पहनें। अपने सामने चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें। चित्र के सामने तांबे की प्लेट में लाल रंग के फूल का आसन देकर श्रीहनुमान यंत्र को स्थापित करें। यंत्र पर सिंदूर से टीका करें और लाल फूल चढ़ाएं। मूर्ति तथा यंत्र पर सिंदूर लगाने के बाद धूप, दीप, चावल, फूल व प्रसाद आदि से पूजन करें।

सरसों या तिल के तेल का दीपक एवं धूप जलाएं। धर्म ग्रंथों में हनुमानजी के 12 नाम बताए गए हैं, जिनके द्वारा इस दिन उनकी स्तुति की जाती है। हनुमानजी के इन 12 नामों का जो रात में सोने से पहले व सुबह उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करने से पहले पाठ करता है, उसके सभी भय दूर हो जाते हैं और उसे अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं। वह अपने जीवन में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करता है।

हनुमानजी की 12 नामों वाली स्तुति
हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।

उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।

एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्। राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।

12 नामों की महिमा

1- हनुमान
हनुमानजी का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि एक बार क्रोधित होकर देवराज इंद्र ने इनके ऊपर अपने वज्र प्रहार किया था यह वज्र सीधे इनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा। हनु पर वज्र का प्रहार होने के कारण ही इनका नाम हनुमान पड़ा।

2- लक्ष्मणप्राणदाता
जब रावण के पुत्र इंद्रजीत ने शक्ति का उपयोग कर लक्ष्मण को बेहोश कर दिया था, तब हनुमानजी संजीवनी बूटी लेकर आए थे। उसी बूटी के प्रभाव से लक्ष्मण को होश आया था। इस लिए हनुमानजी को लक्ष्मणप्राणदाता भी कहा जाता है।

3- दशग्रीवदर्पहा
दशग्रीव यानी रावण और दर्पहा यानी धमंड तोड़ने वाला। हनुमानजी ने लंका जाकर सीता माता का पता लगाया, रावण के पुत्र अक्षयकुमार का वध किया साथ ही लंका में आग भी लगा दी। इस प्रकार हनुमानजी ने कई बार रावण का धमंड तोड़ा था। इसलिए इनका एक नाम ये भी प्रसिद्ध है।

4- रामेष्ट
हनुमान भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। धर्म ग्रंथों में अनेक स्थानों पर वर्णन मिलता है कि श्रीराम ने हनुमान को अपना प्रिय माना है। भगवान श्रीराम को प्रिय होने के कारण ही इनका एक नाम रामेष्ट भी है।

5- फाल्गुनसुख
महाभारत के अनुसार, पांडु पुत्र अर्जुन का एक नाम फाल्गुन भी है। युद्ध के समय हनुमानजी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित थे। इस प्रकार उन्होंने अर्जुन की सहायता की। सहायता करने के कारण ही उन्हें अर्जुन का मित्र कहा गया है। फाल्गुन सुख का अर्थ है अर्जुन का मित्र।

6- पिंगाक्ष
पिंगाक्ष का अर्थ है भूरी आंखों वाला। अनेक धर्म ग्रंथों में हनुमानजी का वर्णन किया गया है। उसमें हनुमानजी को भूरी आंखों वाला बताया है। इसलिए इनका एक नाम पिंगाक्ष भी है।

7- अमितविक्रम
विक्रम का अर्थ है पराक्रमी और अमित का अर्थ है बहुत अधिक। हनुमानजी ने अपने पराक्रम के बल पर ऐसे बहुत से कार्य किए, जिन्हें करना देवताओं के लिए भी कठिन था। इसलिए इन्हें अमितविक्रम भी कहा जाता हैं ।

8- उदधिक्रमण
उदधिक्रमण का अर्थ है समुद्र का अतिक्रमण करने वाले यानी लांधने वाला। सीता माता की खोज करते समय हनुमानजी ने समुद्र को लांधा था। इसलिए इनका एक नाम ये भी है।

9- अंजनीसूनु
माता अंजनी के पुत्र होने के कारण ही हनुमानजी का एक नाम अंजनीसूनु भी प्रसिद्ध है।

10- वायुपुत्र
हनुमानजी का एक नाम वायुपुत्र भी है। पवनदेव के पुत्र होने के कारण ही इन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है।

11- महाबली
हनुमानजी के बल की कोई सीमा नहीं हैं। इसलिए इनका एक नाम महाबली भी है।

12- सीताशोकविनाशन
माता सीता के शोक का निवारण करने के कारण हनुमानजी का ये नाम पड़ा।

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