मां दुर्गा इसलिए धारण करती हैं अस्त्र-शस्त्र, जानें रहस्यमयी घटना के बारे में

नवरात्रि मां दुर्गा इसलिए धारण करती हैं अस्त्र-शस्त्र, जानें रहस्यमयी घटना के बारे में

Bhaskar Hindi Desk
Update: 2021-10-12 09:48 GMT
मां दुर्गा इसलिए धारण करती हैं अस्त्र-शस्त्र, जानें रहस्यमयी घटना के बारे में

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मां दुर्गा की तस्वीर में हमने हमेशा विभिन्न अस्त्रों-शस्त्रों को देखा है। मां के बड़े-बड़े पंडालों में मां के विभिन्न स्वरुपों के साथ उनेक हाथों में कई शस्त्र भी नजर आते हैं। जिनको देखकर हमारे मन में यह जानने की जिज्ञासा होती है कि आखिर मां के हाथों में शस्त्र होने की क्या वजह है? एक तरफ मां प्रेम की मूरत हैं तो दूसरी ओर मां के हाथ में शस्त्र लोगों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आखिर इसके पीछे का क्या रहस्य है? 

आज हम यही जानने वाले हैं कि क्या वो कारण है जिसके कारण माता रानी के हाथों में शस्त्र नजर आते हैं। देवी भागवत की पौराणिक कथा के अनुसार देवराज इंद्र महिषासुर से परेशान होकर त्रिदेवों यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पास गए। महिषासुर भैंस रुपी दैत्य था जिसने धरती पर आतंक मचा रखा था। उसके आतंक से धरती पर रहने वाले सभी लोग परेशान थे। धरती पर रहने वाले लोगों के साथ महिषासुर ने देवताओं को भी परेशान करना शुरु कर दिया था। 

दरअसल, महिषासुर ने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर वरदान लिया था कि कोई भी मनुष्य या देवता उसे परास्त ना कर पाए। ब्रह्मा जी के इसी वरदान का फायदा उठाकर महिषासुर सबको परेशान कर रहा था, कोई उसे परास्त भी नहीं कर पा रहा था। जब देवराज इंद्र त्रिदेवों के पास रक्षा की गुहार करने गए तब तीनों देवों के शरीर से शक्ति का पुंज निकला, जिसने मां दुर्गा का रुप ले लिया। मां दुर्गा को इसलिए शक्ति भी कहा जाता है। सभी देवताओं ने अपनी शक्ति देवी दुर्गा को प्रदान की थी, जिसमे अस्त्र-शस्त्र भी शामिल थे। उसके बाद शक्ति रुपी दुर्गा ने महिषासुर का वध करके सारी सृष्टि को और देवताओं को महिषासुर के आतंक से मुक्त किया। 

इन देवताओं ने दिए मां दुर्गा को यह शस्त्र
शिव- त्रिशुल 
गणेश- तलवार 
विष्णु- सुदर्शन चक्र
अग्निदेव- भाला
इंद्र देव- वज्र
पवनदेव, सूर्यदेव- धनुष-बाण
भगवान विश्वकर्मा- फरसा (कुल्हाड़ी) 

मां दुर्गा को यह शस्त्र विभिन्न देवताओं से मिले थे। जिसके बाद मां ने इन शस्त्रों को धारण कर ना केवल महिषासुर का वध किया बल्कि अपने 
भक्तों को अभय दान भी दिया। 
 

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