माता सीता की उपासना के लिए है खास दिन, जानें पूजा की विधि

जानकी जयंती 2023 माता सीता की उपासना के लिए है खास दिन, जानें पूजा की विधि

Manmohan Prajapati
Update: 2023-02-14 16:53 GMT
माता सीता की उपासना के लिए है खास दिन, जानें पूजा की विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जानकी जयंती मनाई जाती है। इसे सीता अष्‍‍‍‍‍टमी के नाम से भी जाना जाता है, जो कि इस बार 14 फरवरी, मंगलवार को पड़ रही है। सीताष्टमी जानकी जयंती के दिन उपवास रखकर माता सीता की विशेष पूजा करने से मनोकामना पूर्ति का आशीर्वद मिलता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी सुहागिन व्रत रखकर माता सीता की उपासना करती हैं। इससे वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। वहीं, जिन लड़कियों की शादी नहीं हुई है, वह मनचाहे वर प्राप्ति के लिए जानकी जयंती का उपवास रखती हैं। आइए जानते हैं पूजा विधि और मुहूर्त...

ऐसे करें पूजा
- सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर निष्क्रमादि के बाद स्नान करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- पूजा के दौरान सर्वप्रथम गणेश जी का ध्‍यान करें।
- फिर सीता जी की मूर्ति या तस्वीर पर पीले फूल अर्पित करें।
- उन्‍हें कपड़े और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
- इसके बाद मंत्रों का जप 108 + 108 बार जरूर करें।

कैसे हुआ था जन्‍म
इसी दिन मिथिला नरेश राजा जनक और रानी सुनयना को सीता नाम की कन्या प्राप्त हुई थी। रामायण के अनुसार, सीता जी का जन्म मिथिला के एक खेत में हुआ था। भयानक आकाल को दूर करने के लिए किए गए एक यज्ञ के अनुष्ठान के लिए राजा जनक को खेत जोतने के लिए कहा गया था।

उसी खेत में हल चलाते हुए एक क्यारी बनाते समय बने स्थान में एक कन्या उत्पन्न हुई। उस समय राजा जनक की कोई संतान नहीं थी। इसीलिए इस कन्या को पाकर वे अत्यंत प्रसन्न हुए। मैथिली भाषा में हल को सीता कहा जाता है यही कारण है कि हल चलाते हुए मिली इस कन्या का नाम उन्होंने सीता रख दिया। बाद में देवी सीता, अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र श्री राम की पत्नी बनीं।

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