जानें भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत बाल लीलाएं, कभी माखन चुराया तो किया पापियों का नाश भी

जन्माष्टमी 2022 जानें भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत बाल लीलाएं, कभी माखन चुराया तो किया पापियों का नाश भी

Manmohan Prajapati
Update: 2022-08-18 12:12 GMT
जानें भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत बाल लीलाएं, कभी माखन चुराया तो किया पापियों का नाश भी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। वैसे तो श्री कृष्ण के बारे में हम सभी जानते हैं, पुराणों से लेकर टीवी पर आने वाले शो और फिल्म से लेकर युवाओं को थिरकने पर मजबूर करने वाले भजनों के जरिए श्री कृष्ण की महिमा का बखान खूब सुना है। हिन्दू पंचाग के अनुसार, उनका जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र के दिन अर्धरात्री में चन्द्र वंशी क्षत्रियों के वृष्णि कुल में हुआ था। श्रीकृष्ण के पिता का नाम वसुदेव तथा माता का नाम रानी देवकी था। जन्म होते की बालक कृष्ण के प्रांण बचाने के लिये पिता वसुदेव अपने नवजात पुत्र को उनके घनिष्ठ मित्र नंदराय के घर छोड़ आये। इस प्रकार उनका पालन-पोषण गोकुल में श्रेष्ठ सामंत श्री नंद राय के घर हुआ। 

श्री कृष्ण नंद लाल, यशोदा नंदन व पिता वसुदेव के नाम वासुदेव कृष्ण आदि नामों से भी जाने जाते हैं। श्री कृष्ण ने सब प्रकार की विपरीत परिस्तियों का सामना करते हुये मानव जीवन के लिये अनेक आदर्शों व सिद्धांतों की स्थापना की। आइए जन्माष्टमी के अवसर पर श्री कृष्ण की लीलीओं के बारे में जानते हैं...

मथुरा के शासक अत्याचारी राजा कंश को जब पता चला की उसका काल मथुरा में पल रहा है तो उसने छोटे बालक कृष्ण की हत्या के लिये षकटा सुर, पूतना, बकासुर, अघासुर, धेनुका सुर, तृणावर्त आदि अनेक राक्क्षसों को भेजा, जो नटखट बालक श्री कृष्ण की लीलाओं द्वारा मारे गये। श्री कृष्ण जी ने 12 वर्ष 6 दिन की आयु में विश्व के सर्वधिक शक्तिशाली पहलवान पापी, दुष्ट, अत्यचारी, धमन्डी राजा कंस को उसी के दरवार में पटक-पटक कर मार डाला और फिर अपने माता-पिता को कारागार से अजाद करा दिया था।  

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एक बार  बालक श्री कृष्ण जी खेल खेलते हुए यमुना नदी से गेंद निकालने के लिए चले गए जहां पर कालिया नाग रहता था। कृष्ण जी ने उसे पकड़ लिया और उसकी पूंछ पकड़ के पटकने लगे। तब कालियानाग ने कृष्ण जी से छोड़ने की विन्ती की। जिस पर कृष्ण जी ने कालियानाग को यमुना नदी से निकाल कर हिन्द महासागर में हमेशा के लिये भेज दिया। 


 प्रलय काल की वर्षा से गोकुल को बचाने के लिये गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर 7 दिनों तक उठाकर रखा था और तब से वे गिरधारी और गिरधर नाम से जाने गये।

श्री कृष्ण जी मात्र 3 वर्ष की बाल अवस्था में अपनी बाल क्रीड़ा से सभी के मन को मोहते व बांसुरी बजाते। ऐसे में सारी गोपियों, पशु-पक्षी व प्रकृति को भी अपनी बंसुरी की मधुर धुन में मोह लेते थे। अपने मित्रों के साथ मिलकर सभी के घर से मांखन चुराकर खाना उन्हें बेहद पसंद था। पूरा गोकुल उनके इस नटखट स्वभाव का आंनद उठाता था जिसकी वजह से यशोदा मां परेशान भी हो जाती थीं और श्री कृष्ण जी को ओखली से बांध भी दिया करती थीं और इस वजह से श्री कृष्ण जी को माखन चोर भी कहा जाता है।


 

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