कार्तिक पूर्णिमा पर ऐसे करें पूजा, दूर होंगे कुंडली के दोष

कार्तिक पूर्णिमा पर ऐसे करें पूजा, दूर होंगे कुंडली के दोष

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-03 04:24 GMT
कार्तिक पूर्णिमा पर ऐसे करें पूजा, दूर होंगे कुंडली के दोष

डिजिटल डेेस्क, भोपाल। कार्तिक पूर्णिमा स्नान, दान के लिए बेहद पुण्यकारी मानी जाती है। शनिवार को इस वर्ष पूर्णिमा का पुण्य योग है। हिंदू धर्म में कार्तिक माह को बेहद उत्तम माना गया है। विष्णुप्रिय यह माह शिव की आराधना का भी बताया गया है। अर्थात कार्तिक एक साथ विष्णु और शिव के वरदान का माह है। कार्तिक माह की पूर्णिमा को ब्रम्ह मुहूर्त में गंगा, नर्मदा स्नान से समस्तों दोषों और पापों का नाश होता है। साथ ही अन्य देवी-देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। ये दोनों ही नदियां शिव की वरदानी और पुराणों में सर्वाधिक पवित्र बताई गई हैं। 

इस वर्ष यह शनिवार को है तो विधि-विधान से पूजा अर्चना से कुंडली में शनिदोष को दूर किया जा सकता है। यहां हम आपको पूर्णिमा पर पूजा-पाठ और स्नान विधि से संबंधित कुछ आवश्यक बातें बताने जा रहे हैं...

-ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान करें और सूर्यदेव को जल अर्पित कर भगवान विष्णु एवं शिव के विभिन्न नामों का स्मरण करें।  

-यह दिन शास्त्रों में अत्यधिक पवित्र बताया गया है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की रक्षा की थी। अतः तोरण से घर के द्वार सजाएं और विष्णु पद चिंह अंकित करें। 

-पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपने पूर्ण तेज पर होता है। चंद्रदोय के समय 6 कृतिकाओं शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुईया, क्षमा का पूजन करें। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं। 

-संध्या के समय तुलसी को दीपक जलाएं। 

-शनिवार का दिन होने की वजह से अन्न दान के साथ ही काले वस्त्रों, तिल और तेल का दान करें। जूते-चप्पल का भी दान किया जा सकता है। ऐसा करने से शनिदोष से राहत मिलेगी। 

नही रहता काल का भय

त्रिपुरासुर राक्षस ने प्रयाग में एक लाख वर्ष तक कठिन तपस्या कर किसी भी देवता या ब्रम्हदेव के हाथों ना मारे जाने का वरदान प्राप्त किया था। अतः कार्तिक माह की पूर्णिमा पर भगवान शिव ने उसका वध कर सृष्टि को पापमुक्त किया था। जिसके बाद वे त्रिपुरारी के नाम से पूजे गए। शिव के समक्ष बेलपत्र अर्पित कर उनके विशेष नामों का जाप करने से काल का भय नही रहता। 

Similar News