14 जनवरी तक खरमास, जानिए इस माह में क्यों वर्जित हैं शुभ कार्य, विवाह
14 जनवरी तक खरमास, जानिए इस माह में क्यों वर्जित हैं शुभ कार्य, विवाह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सूर्यदेव के गुरू की राशि में प्रवेश करते ही 16 दिसंबर 2017 से खरमास शुरू हो गया, जो 14 जनवरी तक रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य जब गुरू की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते है तो उस घड़ी को खरमास माना जाता है और खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं।
प्रत्येक राशि में सूर्य एक माह रहता है। इस हिसाब से 12 माह में वह 12 राशियों में प्रवेश करता है। सूर्य का भ्रमण पूरे साल चलता रहता है। जिससे ही शुभ अशुभ मुहूर्त परिवर्तित होते हैं। 12 राशियों में भ्रमण करते हुए जब सूर्य गुरू या बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करता है तो खरमास प्रारंभ हो जाता है। यह 16 दिसंबर को 12.04 मिनट पर सूर्यदेव के राशि परिवर्तित करते ही खरमास शुरू हो गया था। 14 जनवरी मकर में प्रवेश करने तक यह मास जारी रहेगा।
पौष माह में सूर्यदेव की उपासना सर्वश्रेष्ठ
खरमास की इस अवधि में जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, नव गृह प्रवेश, विवाह आदि नहीं करना चाहिए। इसे शुभ नही माना गया है। वहीं विवाह आदि शुभ संस्कारों में गुरू एवं शुक्र की उपस्थिति आवश्यक बतायी गई है। ये सुख और समृद्धि के कारक माने गए हैं। खरमास में धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, किंतु मंगल शहनाई नही बजती। वैसे भी हिंदू धर्म में पौष माह में सूर्यदेव की उपासना को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
गुरू का ध्यान सूर्यदेव पर
इसका एक धार्मिक पक्ष यह भी माना जाता है कि जब सूर्यदेव जब बृहस्पति के घर में प्रवेश करते हैं जो देव गुरू का ध्यान एवं संपूर्ण समर्पण उन पर ही केंद्रित हो जाता है। इससे मांगलिक कार्यों पर उनका प्रभाव सूक्ष्म ही रह जाता है जिससे की इस दौरान शुभ कार्यों का विशेष लाभ नही होता। इसलिए भी खरमास में मंगल कार्यों को करना उत्तम नही बताया गया है।