खरमास शुरु, अब एक माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य

खरमास शुरु, अब एक माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य

Manmohan Prajapati
Update: 2019-12-16 04:02 GMT
खरमास शुरु, अब एक माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य

डिजिटल डेस्क। हिंदू धर्म में खरमास या मलमास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाने का विधान है। पंचांग के अनुसार 16 दिसंबर 2019 की रात 12.29 बजे सूर्य वृश्चिक से निकलकर धनु राशि में प्रवेश कर चुका है। जिसके साथ ही खरमास प्रारंभ हो गया है। जो एक महीने अर्थात् मकर सक्रांति 15 जनवरी 2020 तक रहेगा। इस अवधि को ही खरमास कहा जाता है।

इस अवधि यानी कि खरमास में सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। आइए जानते हैं। खरमास में कौन से कार्य वर्जित होते हैं और क्या है इसका वैज्ञानिक कारण

क्या-क्या है वर्जित
हिंदू शास्त्रों के अनुसार मलमास या खरमास में सभी तरह के शुभ कार्य जैसे शादी, सगाई, गृह प्रवेश, नए गृह का निर्माण आदि वर्जित होते हैं। इस दौरान सूर्य गुरु की राशियों में रहता है, जिसके कारण गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। जबकि शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए गुरु का प्रबल होना बहुत आवश्यक होता है। गुरु जीवन के वैवाहिक सुख और संतान देने वाला होता है।

वैज्ञानिक कारण 
सूर्य की तरह गुरु गृह भी हाइड्रोजन और हीलियम की उपस्थिति से बना हुआ है। सूर्य की तरह इसका केंद्र भी द्रव्य से भरा है, जिसमें अधिकतम हाइड्रोजन ही है, जबकि दूसरे ग्रहों का केंद्र ठोस है। इसलिए गुरु का भार सौर मंडल के सभी ग्रहों के सम्मिलित भार से भी अधिक है।

खरमास में करें ये काम
खरमास में सूर्य का गुरु राशि में गोचर होने की वजह से ये समय पूजा-पाठ और मंत्र जाप के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है। इस समय अनुष्ठान से जुड़े कर्म को साथ पितरों से संबंधित श्राद्ध कार्य करना भी अनुकूल माना गया है। खरमास में जलदान का भी बहुत महत्व माना जाता है। इस समय ब्रह्म मूहूर्त के समय किए गए स्नान को शरीर के लिए बहुत उपयोगी माना गया है।

विकर्षण
पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित सूर्य तथा 64 करोड़ किलोमीटर दूर बृहस्पति वर्ष में एक बार ऐसी स्थिति में आते हैं, जब सौर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के माध्यम से बृहस्पति के कण काफी मात्रा में पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचते हैं, जो एक-दूसरे की राशि में आकर अपनी किरणों को विकर्षण करते हैं।

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