बुद्धपूर्णिमा पर गुरु-चंद्र की युति से बन रहा गजकेसरी योग

बुद्धपूर्णिमा पर गुरु-चंद्र की युति से बन रहा गजकेसरी योग

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-30 08:53 GMT
बुद्धपूर्णिमा पर गुरु-चंद्र की युति से बन रहा गजकेसरी योग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन इस बार गजकेसरी सहित कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है। पूर्णिमा पर स्वाति नक्षत्र, तुला राशि का चंद्रमा और उच्च मेष राशि का सूर्य रहेगा। इस बार की वैशाख पूर्णिमा बेहद खास है। सिद्धि योग एवं गुरु-चन्द्र की युति होने से गजकेसरी महासंयोग बन रहा है। ये योग, दान और खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। इसके बाद ऐसा संयोग 2022 में बनेगा। सभी 27 नक्षत्रों में स्वाति नक्षत्र एक ऐसा नक्षत्र है, जिस पर वायु देव का आधिपत्य होता है। सिद्धि योग के स्वामी गणपति हैं, जो भक्तों को हर तरह की सिद्धि प्रदान करते हैं।

तुला का चंद्रमा देवगुरु बृहस्पति के साथ होने से गजकेसरी योग राज प्रताप देने वाला है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। संपत्ति खरीदने पर उसमें स्थायित्व बना रहता है। पंडित गरिधारीलाल पालीवाल का कहना है कि इस योग को ज्योतिष में अति-दुर्लभ माना गया है। सोमवार चंद्र देव का वार है। इस दिन यह योग बनने से ज्यादा प्रभावशाली है। इस योग को कार्यसिद्धि योग माना जाता है। दान-पुण्य, तीर्थ स्नान आदि के लिए भी इस योग को श्रेष्ठ माना गया है।
 


संतान की दीर्घायु के लिए करें पीपल की पूजा

बुद्ध पूर्णिमा पर विभिन्न ग्रहों के संयोग से इस दिन का महत्व बढ़ गया है। बैसाख पूर्णिमा को पीपल पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं और हमारे पितरों का वास होता है। पीपल वस्तुत: भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत: मूर्तिमान स्वरूप ही है। कहा जाता है कि महिलाएं पति और संतान की दीर्घायु के लिए इस दिन पीपल की पूजा-अर्चना करती हैं। पीपल की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। 

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