जानें क्या है मलमास, इस माह में नहीं करना चाहिए ये कार्य

जानें क्या है मलमास, इस माह में नहीं करना चाहिए ये कार्य

Manmohan Prajapati
Update: 2019-12-17 04:28 GMT
जानें क्या है मलमास, इस माह में नहीं करना चाहिए ये कार्य

डिजिटल डेस्क। खरमास प्रारंभ हो गया है, जिसे मलमास भी कहा जाता है और इसकी अवधि पूरे एक माह की होती है। शास्त्रों के अनुसार खरमास या मलमास के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मना ही होती है। इनमें शादी, सगाई, गृह प्रवेश, नए गृह का निर्माण आदि वर्जित होते हैं। 

ज्योतिषास्त्र के अनुसार हिन्दू धर्म में ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति का व्यक्ति के जीवन और उसके जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना का प्रभाव होता है। जिस कारण कई बार व्यक्ति को लाभ तो कई बार हानि का सामना करना पड़ता है। ये लाभ-हानि इस बात पर निर्भर करती है कि ग्रहों के चाल के अनुसार व्यक्ति के कौन से कार्य उचित किए हैं और कौन से अनुचित ? 

ग्रहों की स्थिति 
जिस प्रकार श्राद्ध पक्ष में नए और शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है उसी प्रकार खरमास में भी कुछ विशेष कार्यों को वर्जित माना जाता है। यहां हम आपको वर्ष 2019 से 2020 में दिसम्बर और जनवरी की खरमास से जुड़ी कुछ विशेष जानकारियां दे रहे हैं। जिनकी मदद से आप खरमास या मलमास को अच्छी तरह समझ पाएंगे।

भ्रमण
पंचांग के अनुसार सूर्य प्रत्येक राशि में पूरे एक माह के लिए रहता है। जिसके अनुसार पूरे वर्ष भर में यानी 12 महीनों में 12 राशियों में प्रवेश करता है। सूर्य का यह भ्रमण पूरे वर्ष चलता रहता है। इसी कारण वर्षभर में शुभ और अशुभ मुहूर्त परिवर्तित होते रहते हैं। 12 राशियों में भ्रमण करते हुए जब सूर्य गुरु यानी बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करता है तो खरमास प्रारंभ हो जाता है। जिसमें सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

मलमास में क्या-क्या वर्जित होता है ?
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मलमास या खरमास में सभी तरह के शुभ कार्य जैसे– शादी, सगाई, गृह प्रवेश, नए गृह का निर्माण आदि वर्जित होते हैं। क्योंकि इस समय सूर्य गुरु की राशियों में रहता है जिसके कारण गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। जबकि शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए गुरु का प्रबल होना बहुत आवश्यक होता है। क्योंकि गुरु जीवन के वैवाहिक सुख और संतान देने वाला होता है।

दोष
धनु व मीन राशि के सूर्य को खरमास/ मलमास कहा जाता है व सिंह राशि के बृहस्पति में सिंहस्थ दोष कहा जाता है। इस भारत के विशेष क्षेत्र गंगा और गोदावरी के साथ-साथ उत्तर भारत के उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, राज्यों में सभी मांगलिक कार्य व यज्ञ करना निषेध होता है, जबकि पूर्वी व दक्षिण प्रदेशों में इस तरह का दोष नहीं माना गया है।

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