इस दिन होगा वामन अवतार दिवस, विष्णुजी की कृपा के लिए करें पूजा

इस दिन होगा वामन अवतार दिवस, विष्णुजी की कृपा के लिए करें पूजा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-19 12:11 GMT
इस दिन होगा वामन अवतार दिवस, विष्णुजी की कृपा के लिए करें पूजा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन द्वादशी या वामन जयंती के रूप में मनाया जाता है। जो इस वर्ष 21 सितम्बर 2018 को है। प्राचीन धर्मग्रंथ शास्त्रों के अनुसार इस शुभ तिथि को श्री विष्णु के रूप भगवान वामन का अवतरण हुआ था। धार्मिक शास्त्र, पुराणों तथा मान्यताओं के अनुसार भक्तों को इस दिन व्रत-उपवास करके भगवान वामन की संभव हो तो स्वर्ण प्रतिमा नहीं तो पीतल की प्रतिमा का पंचोपचार सहित पूजा करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा-भक्तिपूर्वक इस दिन भगवान वामन की पूजा करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

वामन अवतार की पौराणिक कथा

पौराणिक ग्रंथों में लिखत रूप से उपस्थित है कि देव माता अदिति ने विष्णु जी की तपस्या की थी। तब उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वे अदिति के पुत्र के रूप में जन्म लेकर देवताओं और साधू-संतो को राजा बलि के भय से मुक्त करेंगे।

शास्त्रानुसार कथा

एक बार जब दैत्यराज बलि ने इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर आधिपत्य कर लिया था। तब पराजित इंद्र की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी माता अदिति बहुत दुखी हुईं। तब उन्होंने अपने पुत्र के उद्धार के लिए विष्णु की आराधना की। तब उनकी आराधना से प्रसन्न होकर विष्णु जी प्रकट हुए और बोले- देवी! व्याकुल मत हो मैं तुम्हारे ही पुत्र के रूप में जन्म लेकर इंद्र को उनका हारा हुआ राज्य दिलाऊंगा। तब समय आने पर उन्होंने अदिति के गर्भ से जन्म लेकर वामन के रूप में अवतार लिया। तब उनके ब्रह्मचारी रूप को देखकर सभी देवता और ऋषि-मुनि आनंदित हो उठे।

जब राजा बलि ने स्वर्ग पर अपना स्थायी अधिकार प्राप्त करने के लिए अश्वमेध यज्ञ किया तब यह सूचना जानकर वामन देव वहां पहुंचे गए। उनके तेज से यज्ञशाला स्वतः प्रकाशित हो उठी। बलि ने उन्हें एक उच्च आसन पर बिठाकर उनका आदर सत्कार किया और अंत में राजा बली ने वामन देव से मनचाही भेंट मांगने को कहा।

इस पर वामन चुप रहे, लेकिन जब राजा बलि उनसे बार-बार अनुरोध करने लग गया तो उन्होंने अपने कदमों के बराबर तीन पग भूमि भेंट में देने को कहा। तब राजा बलि ने उनसे और अधिक कुछ मांगने का आग्रह किया, लेकिन वामन देव अपनी बात पर अड़े रहे।

तब राजा बलि ने अपने दायें हाथ में जल लेकर तीन पग भूमि देने का संकल्प ले लिया। जैसे ही संकल्प पूरा हुआ वैसे ही वामन देव का आकार बढ़ने लगा और वे बोने वामन से विराट वामन हो गए। तब उन्होंने अपने एक पग से पृथ्वी और अपने दूसरे पैर से स्वर्ग को नाप लिया। तीसरे पग के लिए तो कुछ बचा ही नहीं तब राजा बलि ने तीसरे पग को रखने के लिए अपना मस्तक आगे कर दिया।

राजा बली बोले- हे प्रभु, सम्पत्ति का स्वामी सम्पत्ति से बड़ा होता है। आप तीसरा पग मेरे मस्तक पर रख दो। सब कुछ दान कर चुके बलि को अपने वचन से न फिरते देख वामन देव प्रसन्न हो गए। तब बाद में उन्हें पाताल का अधिपति बनाकर देवताओं को उनके भय से मुक्त कराया। 

Similar News