101 वर्ष बाद बना कृष्णाष्टमी का ये संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Krishna Janmashtami 2021 101 वर्ष बाद बना कृष्णाष्टमी का ये संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Manmohan Prajapati
Update: 2021-08-27 07:37 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंचाग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2021) का पर्व 30 अगस्त, सोमवार को मनाया जा रहा है। इस बार जन्माष्टमी पर खास संयोग भी बन रहा है। इस संयोग को कृष्ण जयंती योग के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार ये संयोग 101 वर्षों के बाद बना है और इसका आध्यात्मिक जगत में बड़ा महत्व होता है।

श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, सोमवार रोहिणी नक्षत्र व वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। वहीं ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, इस वर्ष भी जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि विद्यमान रहेगी। इसके अलावा वृष राशि में चंद्रमा रहेगा। अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र व सोमवार तीनों का एक साथ मिलना दुर्लभ है।

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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 29 अगस्त, रविवार रात 10:10 बजे से
तिथि समापन: 30 अगस्त, सोमवार रात 12:24 तक 
रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश: 30 अगस्त प्रात: 6:49 बजे 

इस संयोग का लाभ
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, 101 वर्ष बाद बनने वाले इस विशेष संयोग में व्रत रखने पर व्यक्ति को जाने-अनजाने में किए गए पापों से छुटकारा मिलता है। इस दिन संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं को इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप गोपाल का पूजन कर पंचामृत से स्नान कर नया वस्त्र धारण कराकर गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए।

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पूजा विधि

  • इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें।
  • साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव का जल चढ़ाकर व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा घर को साफ करें और संभव हो तो गोबर से लीप लगाएं।
  • पूजा के दौरान बाल कृष्ण को सबसे पहले दूध से स्नान कराएं।
  • इसके बाद दही, घी, शहद से नहलाएं और फिर गंगाजल से स्नान कराएं।
  • इन चीजों को एक बड़े बर्तन में एकत्र कर पंचामृत बना लें।
  • स्नान पूरा होने के बाद बाल गोपाल को सजाएं।
  • लड्डू गोपाल को वस्त्र और गहने पहनाएं।
  • भगवान कृष्ण का चंदन और अक्षत से तिलक करें।
  • बाल कृष्ण को माखन-मिश्री, तुलसी पत्ता का भोग लगाएं।
  • इसके बाद धूप, दीप जलाएं।
  • श्री कृष्ण को झूले पर झुलाएं और भजन-कीर्तन करें।
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