चंद्रग्रहण और माघ मेला, इस दिन समाप्त होगा स्नान पर्व

चंद्रग्रहण और माघ मेला, इस दिन समाप्त होगा स्नान पर्व

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-17 02:01 GMT
चंद्रग्रहण और माघ मेला, इस दिन समाप्त होगा स्नान पर्व

 
डिजिटल डेस्क,  नई दिल्ली।  माघ स्नान का पौराणिक मान्यता किसी से छिपी नही है। भगवान विष्णु और शिव को प्रसन्न करने के लिए माघ स्नान सर्वाधिक उत्तम बताए गए हैं। संगम के तट पर माघ स्नान के लिए लोग एक माह तक कल्पवास करते हैं। ब्रम्हमुहूर्त में स्नान के बाद दिन भर भगवान का ध्यान और रात्रिकाल में भजन गायन। इन दिनों यहां का दृश्य कुंभ के समान ही प्रतीत होता है। 

 

माघ स्नान का उत्तम फल

2 जनवरी 2018 से प्रारंभ माघ स्नान 31 जनवरी 2018 को समाप्त हो रहे हैं। कल्वाास के अतिरिक्त भी विशेष तिथियों पर यहां भक्तों का आगमन होता रहता है। एक माह के काल के दौरान अनेक त्योहार भी आते हैं, जिनका भी अपना अलग महत्व है, किंतु इन्हीं दिनों में यदि माघ स्नान किए जाएं तो उसका उत्तम फल प्राप्त होता है। 

 

ब्रम्हमुहूर्त में स्नान का महत्व

माघ माह के दौरान ही मकर संक्रांति, मौनि अमावस्या, स्नानदान अमावस्या, भानु सप्तमी, महानंदा नवमीं, भीमाष्टमी, तिल चतुर्थी, शिव चतुर्दशी व्रत सहित अनेक त्योहार आते हैं। जिनका भी ब्रम्हमुहूर्त में पुण्यदान, स्नान का महत्व है। इस माह में तिल दान के साथ ही भिक्षुओं को भोजन कराने का विशेष महत्व है। 

 

स्वयं आते हैं देवता

माघ स्नान की परंपरा पुरातन है। कहा जाता है कि प्राचीनकाल से ही संगम के तट पर गंगा स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु जुटते हैं और पुण्यफल प्राप्त करते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि माघ माह में संगम के तट पर स्वयं देवता आते हैं। एक माह तक उनका वास भी संगम के तट पर ही रहता है। जिसकी वजह से भी यहां स्नान करने का सर्वाधिक पुण्य माना जाता है। 

 

इसी दिन चंद्रग्रहण

माघ माह के अंतिम स्नान अर्थात 31 जनवरी के दिन पूर्ण चंद्रग्रहण है। इस रात्रि को चांद हल्का नारंगी फिर नीला दिखाई देगा। ग्रहणकाल समाप्त होने के बाद पुण्य नदी में स्नान का अत्यधिक महत्व है। 
 

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