माघ मास: इस माह पवित्र नदियों में स्नान और पूजा अर्चना से मिलेगी सुख- शांति

माघ मास: इस माह पवित्र नदियों में स्नान और पूजा अर्चना से मिलेगी सुख- शांति

Manmohan Prajapati
Update: 2020-01-17 03:25 GMT
माघ मास: इस माह पवित्र नदियों में स्नान और पूजा अर्चना से मिलेगी सुख- शांति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू कलैंडर के अनुसार 11 वां माह माघ कहलाता है, जो कि इस बार 11 जनवरी से शुरू हो चुका है और 09 फरवरी तक रहेगा। माघ का महीना पहले माध का महीना था, जो बाद में माघ हो गया "माध" शब्द का सम्बन्ध श्री कृष्ण के एक स्वरुप "माधव" से है। इस महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है। माघ महीने में ढेर सारे धार्मिक पर्व आते हैं, साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है। इस माह में संगम पर "कल्पवास" भी किया जाता है जिससे व्यक्ति शरीर और आत्मा से नया हो जाता है। 

मास में पवित्र नदियों में स्नान, पूजन-अर्चन और तिल-कंबल के दान को विशेष महत्व द‍िया गया है। माना गया है कि ऐसा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इस माह में शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु का भी आरंभ होता है। आइए जानते हैं इस माह के बारे में...

सुख- शांति के लिए करें ये काम
पद्मपुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। इस माह में प्रतिदिन प्रातः भगवान् कृष्ण को पीले फूल और पंचामृत अर्पित करें। इसके बाद "मधुराष्टक" का पाठ करें। उसके बाद हर दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराएं सम्भव हो तो एक ही समय भोजन करें। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख- शांति आएगी।

माघ मास की पूर्णिमा
माघ मास में पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि माघ में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा सुननी चाहिए यह संभव न हो सके तो माघ महात्म्य अवश्य सुनें। अतः इस मास में स्नान, दान, उपवास और भगवान माधव की पूजा अत्यंत फलदायी होती है। 

माघ मास की अमावास्या
माघ मास की अमावास्या को प्रयाग राज में स्नान करने से अनंत पुण्य प्राप्त होते हैं। वह सब पापों से मुक्त होकर स्वर्ग में जाता है। महाभारत में आया है माघ मास में जो तपस्वियों को तिल दान करता है, वह नरक का दर्शन नहीं करता। माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूर्य यज्ञ का फल प्राप्त होता है। अतः इस प्रकार माघ स्नान की अपूर्व महिमा है। 
 

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