केरल में है सांपों का मंदिर, हर ओर नजर आते हैं हजारों  

केरल में है सांपों का मंदिर, हर ओर नजर आते हैं हजारों  

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-03 04:23 GMT
केरल में है सांपों का मंदिर, हर ओर नजर आते हैं हजारों  

 

डिजिटल डेस्क, केरल। सर्वविदित है कि भारत में अनोखे मंदिरों और परंपराओं की कमी नही है। विविध भाषाओं और परपंराओं का समावेश भारतीय संस्कृति में देखने मिलता है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सांपों के मंदिर के नाम से जाना जाता है। 

 

तीन हजार से ज्यादा

आलापुज्हा या अलेप्पी से करीब 37  किलोमीटर दूर स्थित है मन्नारशाला। यहां नागराज अपनी संगिनी नागयक्षी के साथ निवास करते हैं। यहां आप जिस ओर भी देखेंगे आपको सापों की प्रतिमाएं ही नजर आएंगी। इनती संख्या तीन हजार से अधिक बतायी जा रही है। यह मंदिर करीब 16 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। 

 


इनके लिए कठोर हैं नियम
ऐसी कथा यहां प्रचलित है कि महाभारत काल में खंडावा नामक एक प्रदेश था जिसे अग्नि को समर्पित कर दिया गया था। उस दौरान सबकुछ जल गया था, लेकिन जो एक हिस्सा बचा रह गया वहीं पर जाकर जीव जंतुओं ने शरण ली, यह वही स्थान है। यहां नम्बूदारी परिवार की महिला यहां पूजन की परंपरा का निर्वाह करती है। इन्हें अम्मा कहा जाता है। ये विवाहित महिलाएं ब्रम्हचर्य का पालन करते हुए अलग कमरे में निवास करती हैं। इनके लिए कुछ नियम भी हैं जो कठोर हैं किंतु सभी इसे मानते हैं। 
 


 
प्रचलित है ये कहानी
मंदिर की कहानी भी इसी परिवार से जुड़ी बतायी जाती है। कहा जाता है कि इसी खानदान की एक महिला ने बुजुर्ग होने पर एक पांच सिर लिए हुए नाग एवं एक बालक को जन्म दिया था जिसकी यहां पूजा की जाती है। उस पर शिव के नाग वासुकी की विशेष कृपा थी। यहां संतान की कामना से अनेक लोग आते हैं। पास ही बनी बावड़ी में स्नान के बाद गीले वस्त्रों में ही मंदिर में प्रवेश करना होता है। जिसे मन्नत का ही हिस्सा माना जाता है। यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं।

 

 

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