व्रत: मासिक कार्तिगाई आज, जानें क्या है इसका महत्व और पूजन विधि

व्रत: मासिक कार्तिगाई आज, जानें क्या है इसका महत्व और पूजन विधि

Manmohan Prajapati
Update: 2020-07-14 10:30 GMT
व्रत: मासिक कार्तिगाई आज, जानें क्या है इसका महत्व और पूजन विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दक्षिण भारत में मासिक कार्तिगाई पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक तत्वों का नाश होता है। जबकि जीवन में नवीन ऊर्जा का संचार होता है। इस माह यह पर्व कल 15 जुलाई, बुधवार यानी कि आज है। 

तमिल पंचांग में मासिक कार्तिगाई का प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। बता दें कि मासिक कार्तिगाई तमिलानाडु में मुख्य रूप से हिंदुओं द्वारा सेलिब्रेट किया जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला यह सबसे पुराना पर्व है। इस प्रकार से तमिल हिंदुओं के लिए इसका महत्व और भी ज्यादा हो जाता है।

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महत्व
तमिल धार्मिक ग्रंथों के अनुसार-चिरकाल में एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। उस समय विवाद के निपटारे के लिए भगवान शिव ने स्वयं को दिव्य ज्योत में बदल लिया था। कालांतर से इस पर्व को मनाने का विधान है। मासिक कार्तिगाई पर दीपक जलाने का विशेष महत्व है। इस दिन तमिल हिंदू लोग तिल के तेल या घी का दीपक जलाते हैं। इस अवसर पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से जीवन में सुख-शांति आती है।

पूजा विधि
- हिंदी पंचांग के अनुसार, व्रती त्रयोदशी के दिन भगवान शिव की पूजा दिनभर कर सकते हैं। इस दिन प्रातः काल - - शुभ मुहूर्त में उठें और स्नान-ध्यान से निवृत होकर व्रत संकल्प लें।
- इसके बाद भगवान शिव जी की पूजा-उपासना सच्ची श्रद्धा और भक्ति से करें। 
- संध्याकाल में शुभ मुहूर्त के समय दीप प्रज्वलित कर भगवान शिव का आह्वान करें।

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- पूजा के दौरान भगवान शिव से परिवार के कुशल मंगल की प्रार्थना करें। 
- इसके बाद भोजन ग्रह करें। 
- अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।
- इस व्रत में यदि आप दिनभर उपवास रख पाने में सक्षम नहीं हैं तो फलाहार कर सकते हैं। 

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