श्रीमदगवद् गीता के उपहार से मिलेगा दोनों को पुण्य, इस मुहूर्त में करें की पूजा

श्रीमदगवद् गीता के उपहार से मिलेगा दोनों को पुण्य, इस मुहूर्त में करें की पूजा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-30 02:11 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष माह में शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी पड़ती है। इसी दिन गीता जयंती का का उपदेश अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण ने से प्राप्त किया था जिसकी वजह से इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। इसी वजह से भी इसे गीता जयंती कहा जाता हे। इस एकादशी पर जो भी भक्त व्रत रखता है उसे व उसके पूर्वजों को भी इसका पुण्य प्राप्त होता है। 

 

कहा जाता है कि इस दिन गीता पाठ अवश्य करना चाहिए। समय का अभाव हो तब भी कम से कम वे श्लोक अवश्य ही पढ़ने चाहिए जिसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को आत्मा के बंधन का ज्ञान दे रहे हैं। सात सौ छंदों की श्रीमदगवद् गीता के प्रतिदिन दर्शन भी अति शुभ बताए गए हैं। गीता जयंती पर यदि किसी को श्रीमदगवद् गीता उपहार में दी जाए तो लेने वाले और देने वाले दोनों को इसका पुण्य प्राप्त होता है। ऐसा करने से नरक में जा चुके आपके पूर्वजों को पीड़ा से राहत प्राप्त होती है। 


शुभ मुहूर्त

-तिथ‍ि प्रारंभ:  29 नवंबर 2017 को रात्र‍ि 10. 59 बजे
-तिथ‍ि समाप्‍त: 30 नवंबर 2017 को रात्र‍ि 9.26 बजे
-पारण का समय: 1 नवंबर 2017 सुबह 06.55 मिनट से रात्र‍ि 07.12 मिनट तक


 व्रत की पूजा विध‍ि


-इस दिन पूजा में तुलसी की मंजरी अवश्य शामिल करें। सबसे पहले पवित्र नदी में स्नान कर भगवान विष्णु का स्मरण करें एवं गंगा जल पूरे घर में छिड़कें। 
-पूजा में कुमकुम, रोली, चंदन, फूल-फल, अक्षत, धूप, तुलसी की मंजरी रखें। 
-श्रीमदगवद् गीता भगवान विष्णु या कृष्ण के साथ ही भगवान गणेश की मूर्ति भी पूजन स्थल पर रखें। 
-इसके पश्चात भगवान विष्णु, गणेश व गवद् गीता का पूजन करें। 
-पूरे दिन व्रत का विधि अनुसार पालन करें उसके बाद परिवार के साथ इसका पारण करें। 
-सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें। 
-रात्रि जागरण कर भगवान विष्णु का पूजन, पाठ व स्मरण करें। 
-व्रत पूजा के बाद कथा सुनें व आरती कर सभी को प्रसाद वितरित करें। 

 

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