अधिक मास 2018 : 19 साल बाद आया ऐसा संयोग

अधिक मास 2018 : 19 साल बाद आया ऐसा संयोग

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-14 04:15 GMT
अधिक मास 2018 : 19 साल बाद आया ऐसा संयोग

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में अधिक मास को बहुत ही पवित्र और पुण्य फल देने वाला माना गया है। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस महीने में भगवान पुरुषोत्तम की पूजा करने व श्रीमद्भागवत की कथाएं सुनने, मंत्र जाप, तप व तीर्थ यात्रा का भी बड़ा महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अधिक मास में विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।

क्यों आता है अधिक मास ?

32 महीने, 16 दिन, 1 घंटा 36 मिनट के अंतराल से हर तीसरे साल अधिक मास आता है। ज्योतिष में चंद्रमास 354 दिन व सौर मास 365 दिन का होता है। इस कारण हर साल 11 दिन का अंतर आता है जो 3 साल में एक माह से कुछ ज्यादा होता है। चंद्र और सौर मास के अंतर को पूरा करने के लिए धर्म शास्त्रों में अधिक मास की व्यवस्था की गई है। आषाढ़ मास में मलमास के लगने का संयोग दशकों बाद होता है। इससे पूर्व 1996 में यह संयोग आया था। अगली बार यह संयोग 2035 में होगा। अधिक मास इस बार आषाढ़ में 17 जून से 16 जुलाई तक रहेगा।

अधिक मास में करें जप-तप

अधिक मास में प्रतिदिन भागवत कथा को सुनने से अभय फल की प्राप्ति होती है। इस माह में जप, तप, तीर्थयात्रा, कथा श्रवण का अत्यधिक महत्व है। इस वर्ष अधिक मास के कारण पर्व-त्यौहार 20 दिनों की देरी से होंगे। इस मास में श्रीमद् भागवत कथा कराने से बहुत पुण्यफल की प्राप्ति होती है साथ ही पितृ दोष का नाश होता है।अधिक मास में तीर्थयात्रा, दान, पितृ कर्म, कथा श्रवण, राजगीर स्नान, नेपाल देश के गेरिका नदी स्नान, नवाह्न परायण आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होगी, लेकिन उद्यापन, विवाह, उपनयन संस्कार, राज्याभिषेक आदि फल की प्राप्ति की इच्छा से किए जाने वाले धर्म-कर्म शास्त्रों में वर्जित हैं।

वर्षों बाद आया है ये संयोग

आषाढ़ मास में मलमास के लगने का संयोग दशकों बाद होता है। इससे पहले 1996 में यह संयोग आया था। और अब अगली बार यह संयोग 2035 में होगा। अधिक मास इस बार 17 जून से 16 जुलाई तक रहेगा।

Similar News