चैत्र नवरात्रि 2021: छठवें दिन करें मां कात्यायनी की आराधना, जानें पूजा की विधि

चैत्र नवरात्रि 2021: छठवें दिन करें मां कात्यायनी की आराधना, जानें पूजा की विधि

Manmohan Prajapati
Update: 2021-04-17 10:06 GMT
चैत्र नवरात्रि 2021: छठवें दिन करें मां कात्यायनी की आराधना, जानें पूजा की विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि में देवी के पांच स्वरूप की पूजा हो चुकी है। वहीं छठवें स्वरूप की पूजा 18 अप्रैल, रविवार को की जा रही है। बता दें कि यह स्वरूप मां कात्यायनी को समर्पित है। मां कात्यानी को शहद अत्यंत प्रिय होता है। माता का यह स्वरूप बहुत ही अद्भुत है। यजुर्वेद के आरण्यक में इनका उल्लेख प्रथम दिया गया है। स्कंद पुराण में भी यह उल्लेख है कि ये ईश्वर के क्रोध से उत्पन्न हुई हैं।

ऐसी मान्यता है कि महर्षि कात्यायन ने मां भगवती को अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। महर्षि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवती ने उन्हें पुत्री का वरदान दिया। महर्षि कात्यायन के नाम पर ही इनका नाम कात्यायनी रखा गया। आइए जानते हैं मां दुर्गा के इस स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...

चैत्र नवरात्रि: जानें किस दिन होगी किस स्वरूप की होगी पूजा

मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य, दिव्य और बड़ा ही मनमोहक है। मां कात्यायनी शेर पर सवार रहती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला है। इनकी चार भुजाएं हैं। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। मां कात्यायनी अपने भक्तगणों पर हमेशा अपनी कृपा दृष्टि रखती हैं। वैसे यह अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेमावती, इस्वरी इन्हीं के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमें भद्रकाली और चंडिका भी कहा जाता है।

इस विधि से करें पूजा
सुबह नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान करें और फिर मां कात्यायनी का मन में ध्यान करते रहें। उसके बाद नारियल को कलश पर रखें। फिर उस पर चुन्‍नी व कलावा लगायें और पूजा करें। फिर मां कात्यानी को रोली, हल्दी व चावल का तिलक करें। तिलक लगाने के बाद मां कात्यानी के सामने घी का दिया जलाएं। मां कात्यानी को शहद अत्यंत प्रिय होता है इसलिए उन्हें शहद का भोग लगाने चाहिए। नवरात्र के छठे दिन लाल रंग के वस्त्र पहनें। यह रंग शक्ति का प्रतीक होता है और यह मां कात्यायनी का प्रिय रंग भी माना जाता है।

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इस मंत्र का करें स्वरूप
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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