मां शक्ति के 9 अवतार, ये हैं नौ देवियों के स्वरूप और उनकी कथा

मां शक्ति के 9 अवतार, ये हैं नौ देवियों के स्वरूप और उनकी कथा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-20 05:45 GMT
मां शक्ति के 9 अवतार, ये हैं नौ देवियों के स्वरूप और उनकी कथा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 21 सितंबर से नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। पहला दिन मां शैलपुत्री का है। गुरूवार को प्रारंभ होने की वजह से माता इस बार पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा का अलग ही विधान है। यहां हम आपको मां के नौ रूपों से जुड़ी कथा व महत्व बताने जा रहे हैं...

शैलपुत्रीः पहल दिन मां शैलपुत्री का है। जो कि प्रतिपदा 21 सितंबर को है। शैलपुत्री पर्वत हिमालय की बेटी हैं और नौ दुर्गा का पहला रूप हैं। पिछले जन्म में वह राजा दक्ष की पुत्री थी और उनका नाम सती था। दक्ष के यज्ञ में सती भगवान का अपमान सहन नहीं कर पातीं और अपने आप को यज्ञ की आग में भस्म कर लेती हैं। दूसरे जन्म में वह हिमालय की बेटी पार्वती के रूप में जन्म लेती हैं और भगवान शिव से विवाह करती हैं। 

ब्रह्मचारिणीः 22 सितंबर को दूसरा नवरात्रा है इस दिन मां के ब्रह्माचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। ब्रह्मा शब्द उनके लिए लिया जाता है जो कठोर भक्ति करते है और अपने दिमाग और दिल को संतुलन में रख कर भगवान को खुश करते है। ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में गुलाब और बाएं हाथ में पवित्र  कमंडल है। नारद मुनि के बताने के बाद अपनी मां मेनका से शिव से विवाह की बात कहते हुए वे जंगल में तप के लिए चली जाती हैं। इसलिए इनका नाम तपचारिणी पड़ा। 

चन्द्रघंटाः 23 सितंबर नवरात्र का तीसरा दिन है। इस दिन तीसरी शक्ति चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। घंटा जिनके सर पर आधा चन्द्र और बजती घंटी है। ये शेर पर बैठी संघर्ष के लिए तैयार रहती हैं। माता की 3  आंखें हैं और दस हाथ जिनमें में दस शस्त्र पकड़े रहती हैं। इनका रंग सुनहरा बताया गया है। इनकी घंटी की भयानक ध्वनि सभी राक्षसों को डरा देती हैं। 

कुष्मांडाः चौथा नवरात्र 24 सितंबर को है इस दिन मां के चौथे रूप कुष्मांडा की पूजा की जाती है। वह ब्रह्मांड की निर्माता के रूप में जानी जाती हैं जो उनके प्रकाश के फैलने से निर्माण होता है। उनके पास आठ हाथ है उनके दाहिने हाथ में माला होती है और वह शेर की सवारी करती है। वह सूर्य की तरह सभी दस दिशाओं में चमकती रहती है। 

स्कंदमाताः पांचवा नवरात्र 25 सितंबर को है इस दिन स्कद माता पूजी जाती हैं, जो हिमालय की पुत्री हैं। स्कंदमाता आग की देवी है। उनकी तीन आंख और चार हाथ हैं। वे सफेद रंग की हैं और कमल पर बैठी हैं। उनके दोनों हाथों में कमल सुसज्जित है। 

कात्यायनीः मां दुर्गा का छठा रूप है कात्यायनी जिनकी पूजा छठे दिन की जाती है, जो कि इस वर्ष 26 सितंबर को है। एक महान संत कता के तप से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने कात्यानी के रूप में  जन्म लिया था। 

कालरात्रिः सातवें दिन मां के कालरात्रि की आराधना होती हैं। जो कि 27 सितंबर को है। वह अतिशक्तिशाली और काली रात की तरह ही हैं। उनके बाल बिखरे, उज्जवल तीन नेत्र हैं। सांस लेने पर मुंह से आग की लपटें निकलती हैं। इन्हें शुभकुमारी के नाम से भी जाना जाता है। 

महागौरीः आठवीं दुर्गा  महा गौरी हैं, जिनका पूजन आठवें नवरात्र पर किया जाता है जो कि 28 सितंबर को है। वह एक शंखए चंद्रमा और जैस्मीन के रूप सी सफेद हैं। उनके गहने और वस्त्र सफ़ेद हैं व बैल की सवारी करती हैं। कहा जाता है जब मां गौरी का शरीर गन्दा हो गया था तब धूल की वजह से पृथ्वी भी गन्दी हो गयी थी तो भगवान शिव ने गंगा के जल से उसे साफ किया था। इसके बाद उनका शरीर बिजली की तरह उज्ज्वल बन गया। इसलिए उन्हें महागौरी कहा जाता है। 

सिद्धिदात्रीः  नौवें दिन सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है, जो कि 29 सितंबर है इनके पास आठ सिद्धियां हैं। मां के इसी रूप के साथ अर्धनारीश्वर की कथा जुड़ी है। इसका उल्लेख देवी पुराण में मिलता है। इनके रूप को ममत्व से पूर्ण बताया गया है। 

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