ज्योतिषशास्त्र: अगले 8 माह में देश-विदेश में बन रहे हैं ये प्रबल योग

ज्योतिषशास्त्र: अगले 8 माह में देश-विदेश में बन रहे हैं ये प्रबल योग

Manmohan Prajapati
Update: 2019-03-06 12:02 GMT
ज्योतिषशास्त्र: अगले 8 माह में देश-विदेश में बन रहे हैं ये प्रबल योग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस समय बुध कमजोर है जिसके चलते रिश्ते कमजोर है, भाईचारा कमजोर है और बुद्धिमानी कमजोर है। वहीं शनि कमजोर होने से धैर्य चूक रहा है, क्रोध बढ़ रहा है और अग्निकाण्ड और विध्वंस की संभावनाएं बढ़ रही हैं। ज्योतिष के अनुसार इस समय कर्मयोग धुंधला हो रहा है और धर्मयोग प्रबल हो रहा है। अगले 8 माह में शक्तिशाली लोग, शक्ति संचालक और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोग स्वतंत्रता का उपयोग करेंगे और शक्ति संचालन करेंगे। इससे अधिकारों का हनन होगा और शक्ति की जय होगी। ज्योतिष के अनुसार आने वाले आठ माह में देश-विदेश में कौन कौन से योग प्रबल होंगे, आइए जानते हैं...

तीव्रगामी बृहस्पति है :-
रचनात्मकता, ज्ञान, बड़प्पन और शालीनता को ताक पर रख देगा और पुरुषार्थ को प्रबल बना देगा। जो लोग इसके फलों से चूक जाएंगे वो लोग पुरुषार्थ का प्रदर्शन करने से नहीं चूकेंगे। इससे अहंकार, अभिमान और बल प्रयोग के विचार प्रकट होंगे।

गुरु बृहस्पति :-
वर्तमान में, देश, काल और परिस्थियों के अनुसार चीन का कारक बना हुआ है। गुरु बृहस्पति के संचार का विश्लेषण करने पर पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों का पता लग सकता है। गुरु बृहस्पति की तीव्र गति दर्शाती है कि - इस समय चीन बहुत सक्रीय है और उस पर दृष्टि रखे हुए देश उसकी गतिविधियों का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। गुरु रहस्य कारक ग्रह है और तीव्रगामी होने पर और रहस्यमय हो जाता है। ऐसे में गुरु के रूप में चीन कई स्तरों पर अपने खेल-खेल सकता है। इसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ेगा।

विश्व के छोटे देश :-
आपसी रिश्तों, तालमेल और सौहार्द के लिए दिशाहीन होंगे और बड़े देशों के क्रिया-कलापों से आशंकित होंगे। दक्षिण चीन सागर के आसपास बसे देश इससे सर्वाधिक प्रभावित होंगे। क्योंकि चीन की गतिविधियां संदेहास्पद होगी। गुरु तीव्रता से शनि की ओर बढ़ रहा है और शनि इस समय पाकिस्तान का कारक बना हुआ है। शनि के दूसरी ओर से केतु बढ़ा चला आ रहा है जो 7 मार्च को मिल भी जाएगा। 

इस समय केतु :- भारत का कारक बना हुआ है। वक्री केतु और मार्गी शनि साथ-साथ रहने वाले हैं। तीव्रता से शनि की ओर बढ़ता गुरु - शनि पर नियंत्रण बनाने का प्रयास करेगा। दूसरी ओर से केतु - शनि रूपी पाकिस्तान को को भस्म कर देने के लिये तीव्रता से उसकी ओर बढ़ेगा। यहां भारत और पाकिस्तान आपस में 24 जनवरी 2020 तक प्रबल तनावपूर्ण स्थिति में होंगे। तभी गुरु बृहस्पति की गति शिथिल होने लगेगी और शनि पर से उसका नियंत्रण हट जाएगा। 10 अप्रैल आते-आते गुरु बृहस्पति की गति शून्य हो जाएगी। 

यही वो समय होगा :- जब चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत की कुछ बातें उजागर हो सकती है और फिर गुरु वक्री हो जाएगा अर्थात् चीन अपनी स्थिति को सुधारने में लग जाएगा। लेकिन - वक्री गुरु जैसे ही राशि बदलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा - उसका राहु के साथ षड-अष्टक योग बन जाएगा। तब पश्चिमी देश अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस - चीन के शत्रु बन जाएंगे और चीन को आड़े हाथ ले सकते हैं। क्योंकि इस समय राहु, पश्चिमी देशों का कारक बना हुआ है। इसी समय– यानि 14 अप्रैल से सूर्य उच्च राशि का होने जा रहा होगा। ये संकेत होगा कि शक्तिशाली देश और विश्व को दिशा देने वाले देश विश्वव्यापी निर्णय लेंगे जिससे सारी दुनिया प्रभावित होगी।

इधर शनि भी शून्य गति का होने लगा है और उच्च के केतु का सामना नहीं कर पाएगा तथा हथियार डाल देगा। फिर मई का महीना आरम्भ होते-होते शनि वक्री हो जाएगा और अपनी पहले वाली स्थिति में लौटने लगेगा। यही हालत शनि के रूप में पाकिस्तान की भी होने वाली है। केतु के रूप में भारत आने वाले डेढ़ वर्ष तक प्रबल रहेगा और मोक्ष कारक केतु की तरह किसी का भी मोक्ष करा देने में सक्षम होगा। पाकिस्तान की तो बात ही क्या है।

फिर चार-चार वक्री ग्रहों से प्रभावित धनु-राशि जाग्रत हो जाएगी और आक्रामकता प्रबल हो उठेगी। यही वो समय होगा जब युद्ध भड़कने की संभावना बहुत बढ़ जाएगी। ये जरूरी नही है कि ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच ही भड़के अपितु इसके परिणाम विश्वव्यापी हो सकते हैं। इस समय प्राकृतिक आपदा की संभावनाएं भी प्रबल हो सकती हैं। ऐसे ही समय में जब-जब चंद्र - वृश्चिक, धनु और मकर राशि मे गोचर करेगा - प्राकृतिक आपदाओं की संभावनाएं बढ़ जाएगी।

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