बुधवार आधी रात से शुरु हुआ पंचक काल, जानें प्रभाव

बुधवार आधी रात से शुरु हुआ पंचक काल, जानें प्रभाव

Manmohan Prajapati
Update: 2019-09-12 04:27 GMT
बुधवार आधी रात से शुरु हुआ पंचक काल, जानें प्रभाव

डिजिटल डेस्क। हिंदू संस्कृति में कोई भी कार्य करने से पहले शुभ और अशुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा इनमें सबसे महत्वपूर्ण है पंचक, पांच दिनों तक लगने वाले पंचक काल में जैसे यात्रा, व्यापार, लेन-देन, नया कार्य आदि शुभ काम करने की मनाही होती है। इस सितंबर पंचक काल की शुरुआत बुधवार आधी रात के बाद 3.29 से हो चुकी है और 17 सितंबर (मंगलवार) को तड़के 4.23 बजे खत्म होगा। जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त...

वैदिक ज्योतिष के अनुसार पंचक
वैदिक ज्योतिष में पांच नक्षत्रों के विशेष मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है। जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहा जाता है। चंद्रमा एक राशि में लगभग ढाई दिन रहता है इस तरह इन दो राशियों में चंद्रमा पांच दिनों तक भ्रमण करता है। इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है। अतः ये पांच दिन पंचक कहे जाते हैं।

हिन्दू पंचाग के अनुसार पंचक
हिन्दू पंचाग के अनुसार नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें अंतिम के पांच नक्षत्र दूषित माने गए हैं। ये नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र चार चरणों में विभाजित रहता है। पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक रहता है। हर दिन एक नक्षत्र होता है इस लिहाज से धनिष्ठा से रेवती तक पांच दिन हुए। ये पांच दिन पंचक होता है।

दिन और प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार दिन के हिसाब से सभी पंचक का प्रभाव अलग-अलग होता है। यह इस बात पर निर्भर है कि पंचक की शुरुआत किस दिन से हुई है। अगर पंचक की शुरुआत रविवार से होती है तो उसे रोग पंचक कहते हैं, ऐसे ही शनिवार से शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। सोमवार से शुरू हुए पंचक को राजपंचक, मंगलवार को अग्नि पंचक, बुध और गुरुवार को अशुभ जबकि शुक्रवार को चोर पचंक कहा जाता है।

इन कार्यों की मना ही
मान्यता है कि पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसे दरअसल यम की दिशा के तौर पर जाना जाता है। इसलिए इस दिशा में पंचक के दौरान यात्रा से हानि और कष्ट की आशंका रहती है।

पंचक के दौरान सोने के लिए स्थान जैसे पलंग बनवाना, पलंग खरीदना, बिस्तर आदि खरीदना भी वर्जित है। इन दिनों में इन्हें खरीदना अशुभ माना गया है। पंचक काल में घर की छत नहीं डाली जानी चाहिए। इसे नुकसान और घर में क्लेश की आशंका बनी रहती है।
 

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