एकादशी का दुर्लभ योग आज, शेष शैय्या पर करवट बदलेंगे 'श्रीहरि'

एकादशी का दुर्लभ योग आज, शेष शैय्या पर करवट बदलेंगे 'श्रीहरि'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-02 02:35 GMT
एकादशी का दुर्लभ योग आज, शेष शैय्या पर करवट बदलेंगे 'श्रीहरि'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी पद्मा एकादशी, परिवर्तिनी एकादशी, वामन एकादशी, जलझूलनी एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस वर्ष शनिवार 2 सितंबर को पड़ने वाला ये योग करीब 101 साल बाद पड़ा है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही शनिदेव को भी प्रसन्न करने से कष्टों का निवारण होता है। विद्वान इस दिन को बेहद खास बता रहे हैं...

- माना जाता है कि पद्मा एकादशी को भगवान विष्णु शेष शैय्या पर करवट बदलते हैं। कहते हैं कि भगवान विष्णु, करवट बदलने के समय प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि श्रीहरि की इस मुद्रा के दौरान उनसे जो भी याचना की जाए कभी खाली नहीं जाती। 

- इस एकादशी पर भगवान विष्णु के मानव वामन अवतार की भी पूजा होती है। इस पूजा का दक्षिण भारत में प्रचलन है। 

- देवताओं ने अपना खोया हुआ राज्य पाने के लिए इसी दिन महालक्ष्मी का पूजन भी किया था। जिसकी वजह से एकादशी लक्ष्मी पूजन के लिए भी श्रेष्ठ बताई गई है। 

- शिशु के जन्म के बाद कुआं पूजन का विधान है। यह पर्व उसी का एक रूप माना जा सकता है। 

- परिवर्तिनी एकादशी मौसम में बदलाव का भी सूचक है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की सूरज पूजा, जन्म के बाद होने वाले मांगिलक कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है। 

- श्रीहरि और माता लक्ष्मी दोनों को कमल अतिप्रिय है। कृष्ण और वामन अवतार भी भगवान विष्णु के ही हैं। इस वजह से इस दिन कमल पुष्प से भगवान का पूजन श्रेष्ठ फल देने वाला बताया गया है। ऐसा भी कहा जाता है कि ये पुष्प श्रीहरि और मां लक्ष्मी को प्रसन्नता प्रदान करता है।

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