आज है परमा एकादशी, क्यों बताया गया है व्रत और दान को उत्तम

आज है परमा एकादशी, क्यों बताया गया है व्रत और दान को उत्तम

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-06 10:31 GMT
आज है परमा एकादशी, क्यों बताया गया है व्रत और दान को उत्तम

डिजिटल डेस्क, भोपाल। पुरुषोत्तम मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को परमा एकादशी या हरिवल्लभ एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 10 जून रविवार को पड़ रही है। इस दिन देवत्तम भगवान विष्णु की पूजा से दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार संसार में चार पैरवालों में गौ, देवताओं में इन्द्रराज श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सभी मासों में पुरुषोत्तम मास उत्तम है। इस मास में पंचरात्रि अत्यंत पुण्य देनेवाली है। अधिक (पुरुषोत्तम) मास में दो एकादशी होती हैं जो परमा एकादशी और पद्मिनी एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्यमय लोकों की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत और दान को उत्तम बताया गया है।

परमा एकादशी व्रत कथा 

प्राचीन काल में वभ्रु वाहन नामक एक दानी तथा प्रतापी राजा था। वह प्रतिदिन ब्राह्मणों को सौ गाय दान करता था। उसी के राज्य में प्रभावती नाम की एक बाल-विधवा रहती थी। जो भगवान श्री विष्णु की परम उपासिका थी। पुरुषोत्तम मास में नित्य स्नान कर विष्णु तथा शंकर भगवान की पूजा करती थी। परमा एकादशी अर्थात हरिवल्लभ एकादशी व्रत को कई वर्षों से निरंतर करती चली आ रही थी। देवयोग से राजा वभ्रुवाहन और बाल-विधवा की एक ही दिन मृत्यु हुई, और दोनों साथ ही धर्मराज के दरबार में पहुंचे। धर्मराज ने उठकर जितना स्वागत बाल-विधवा का किया, उतना सम्मान राजा का नहीं किया। राजा को अपने दान-पुण्य पर अत्यधिक भरोसा था। वह आश्चर्य चकित हुआ इसी समय चित्रगुप्त ने इसका कारण पूछा तो धर्मराज ने बाल-विधवा के द्वारा किए जाने वाले परमा एकादशी के व्रत के विषय में बताया।

 


परमा (हरिवल्लभ) एकादशी व्रत पूजन विधि

वैदिक धर्म में व्रत-उपवास को अलग महत्व दिया जाता है। सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी ना किसी विशिष्ट देवी-देवता को समर्पित होता है, जिन्हें प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त उस दिन उपवास रखते हैं। सप्ताहिक दिनों में उपवास रखने के अलावा हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ऐसे बहुत से दिन भी आते हैं, जब उपवास रखने का सुखद फल व्यक्ति को मिलता है। इन्हीं दिनों में से एक होता है एकादशी का व्रत।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं, लेकिन जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या 24 से बढ़कर 26 हो जाती है। अधिक मास में दो एकादशी आती हैं जिन्हें परमा और पद्मिनी के नाम से जाना जाता है। अधिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को हरिवल्लभ या परमा एकादशी कहा जाता है। 

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