इस पौराणिक विधि से करें विष्णु पूजन, इन देवों की भी होगी कृपा

इस पौराणिक विधि से करें विष्णु पूजन, इन देवों की भी होगी कृपा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-29 08:07 GMT
इस पौराणिक विधि से करें विष्णु पूजन, इन देवों की भी होगी कृपा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देवउठनी एकादशी का पर्व इस वर्ष 31 अक्टूबर 2017 को मनाया जा रहा है। भगवान विष्णु इसी दिन शयन निद्रा से जाग्रत होकर सृष्टि पालन का कार्यभार पुनः संभालेंगे। जिसके बाद भगवान शिव कैलाश यात्रा की ओर निकल पड़ेंगे। ऐसे वर्णन पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में मिलते हैं। इस शुभ बेला पर हमें एक साथ ही समस्त देवों को पूजने का अवसर प्राप्त होता है अर्थात शिव, विष्णु, तुलसी और माता लक्ष्मी समेत अन्य देवी देवता। अतः इस व्रत पूजन की सबसे सरल पौराणिक पूजन विधि यहां हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसके जरिए आप आसानी से उन सभी देवाें काे प्रसन्न कर सकते हैं जिनका पूजन जीवन के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक बताया गया है...


जानें पूरी विधि

-सबसे पहले प्रातः दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें और आंगन में चैक बनाएं। 
-भगवान श्रीहरि के पदचिंह कलात्मक रूप में अंकित करें, माता लक्ष्मी के पदचिंह भी बनाए जा सकते हैं। 
-यदि उन पर धूप पड़ रही है तो उन पदचिंहों को ढक दें। 
-देवउठनी की रात्रि भागवत कथा, पुराणादि के साथ ही श्रीहरि के भजनों का श्रवण व गायन करें। 
-इस दिन स्मरण रहे कि पूजन के दौरान घंटा, शंख, मृदंग, नगाड़े आदि बजाना ना भूलें। इनमें से कोई एक चीज भी बजायी जा सकती है। 
-इसके बाद श्रीहरि के मंत्रों का जाप करते हुए उनके विभिन्न नामों का स्मरण करते हुए उन्हें जगाएं। उनके समक्ष हाथ जोड़कर पूर्ण श्रद्धाभाव से खड़े रहें। 
-माता तुलसी के पाैधे काे भी समीप ही रखें आैर एक चुनरी आेढ़ाकर श्रंगार करें। 
-आंगन में देवोत्थान का चित्र बनाएं उस पर फूल, सिंघाड़े, फल आदि चढ़ाएं इसके बाद समीप ही एक दीपक जलाएं। 
-भगवान को पंचामृत अर्पित करें और बाद में उसी का प्रसाद सबको अर्पित कर दें। 
-यदि संभव हो तो भगवान को एक रथ में बैठाएं और नगर भ्रमण कराएं। 

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