राहु शनि युति के कारण बनता है नंदी योग, जानिए इसके  प्रभाव  

राहु शनि युति के कारण बनता है नंदी योग, जानिए इसके  प्रभाव  

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-22 06:47 GMT
राहु शनि युति के कारण बनता है नंदी योग, जानिए इसके  प्रभाव  


डिजिटल डेस्क। प्रेत, श्राप, योग यानि ऐसी घटना जिसे अचनचेत घटना कहा जाता है .अचानक कुछ ऐसा हो जाना जिसके बारे में दूर-दूर तक अंदेशा भी न हो और भारी नुक्सान हो जाए। इस योग के कारण एक के बाद एक मुसीबत बढ़ती जाती है अगर शनि या राहू में से किसी भी ग्रह की दशा चल रही हो या आयुकाल चल रहा हो यानी 7 से 12 या 36 से लेकर 47 साल  तक का समय हो तो मुसीबतों का दौर थमता नहीं है।

शुभ ग्रह के समय में भी मुसीबतें आती है

ज्योतिष शोध के अनुसार कई बार ऐसा भी होता है किसी शुभ या योगकारी ग्रह की दशा काल हो और राहू, शनि युति रूपी प्रेत श्राप योग की दृष्टि का दुष्प्रभाव उस ग्रह पर हो जाए तो उस शुभ ग्रह के समय में भी मुसीबतें आती हैं जिस पर अधिकतर ज्योतिष गण ध्यान नहीं दे पाते पूर्व जन्म के दोषों में इसे शनि ग्रह से निर्मित पितृ दोष कहा जाता है इस दोष का निवारण भी घर में सन्तान के जन्म लेते ही ब्राह्मण की सहायता से करवा लेना चाहिए अन्यथा मकान सम्बन्धी परेशानियाँ शुरू हो जाती है , प्रापर्टी बिकनी शुरू हो जाती है। कारखाने बंद हो जाते हैं। पिता पर कर्जा चढ़ना शुरू हो जाता है। नौकरी पेशा हो कारोबारी संतान के प्रेत श्राप योग के कारण पिता का काम बंद होने के कगार पर पहुंच जाता है। ऐसे योग वाले के घर में निशानी होती है की जगह-जगह दरारें पड़ना। सफाई के बावजूद भी गंदी बदबू आते रहना। घर में से जहरीले जीव जन्तु निलकना बिच्छू - सांप आदि।

 

 

प्रेत श्राप योग लेकर आता है भारी मुसीबतें 

इस लिए ये प्रेत श्राप योग भारी मुसीबतें लेकर आता है और इस योग के दशम भाव पर प्रभाव के कारण ही चलते हुए काम बंद हो जाते हैं। सप्तम भाव पर प्रभाव के कारण ही शादियां टूट जाती है। अष्टम भाव पर इसका प्रभाव हो तो जातक पर जादू - टोना जैसा अजीब सा  प्रभाव रहता है और दर्द नाक मौत होती है। नवम भाव में हो तो भाग्य हीनता ही रहती है, एकादश भाव में हो तो  मुसीबतों से लड़ता लड़ता इंसान हार कर बैठ जाता है मेहनत के बाद भी फल नही पाता आदि कुंडली के सभी भावों में अलग फल और नकारात्मक फल देता है। 

 

 

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