Ramadan 2019: शुरू हुआ रमजान का महीना, जानें खास बातें

Ramadan 2019: शुरू हुआ रमजान का महीना, जानें खास बातें

Manmohan Prajapati
Update: 2019-05-07 05:16 GMT
Ramadan 2019: शुरू हुआ रमजान का महीना, जानें खास बातें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रमजान इस्लाम धर्म का पाक महीना माना जाता है और इस बार रमजान की की शुरुआत 7 मई मंगलवार से हो चुकी है। रोजे रखना इस्लाम के पांच स्तंभ में से एक है। 30 दिनों तक चलने वाला यह पवित्र पर्व रमजान अल्लाह के इबादत का पर्व है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे तीस दिन इस चिलचिलाती धूप और गर्मी में रोजा रख हर रोज शाम को इफ्तार करेंगे। इस कठिन रोजे में रोजेदारों को पूरी तरह पाक रहना होगा और खुदा की इबादत में लीन रहना होगा। रमजान के महीने में मस्जिद में पांचों वक्त की नमाज पढ़ी जाएगी। साथ ही तरावीह की नमाज भी शुरु हो जाएगी। आपको बता दें कि रमजान के ठीक तीसवें दिन ईद का पर्व मनाया जाता है, जो इस वर्ष 7 जून को मनाया जाएगा।

रमजान में 6 बार नमाज
बता दें कि इस्लाम में हर मुसलमान को दिन में 5 बार नमाज पढ़ने का नियम है, लेकिन रमजान में 6 बार नमाज पढ़ी जाती है। छठी नमाज रात में होती है, इसे ही तरावीह कहा जाता है। रमजान में इस नमाज में हर दिन थोड़ा-थाेड़ा कर के पूरी कुरान पढ़ी जाती है। रमजान के इस महीने में मुस्लिमों के द्वारा फितरा और जकात अपनी हैसियत के मुताबिक देना होता है। 

रोजे के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान

:- रोजे का मतलब सिर्फ उस अल्लाह के नाम पर भूखे-प्यासे रहना ही नहीं है। इस दौरान आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। इसका मतलब यह कि न ही तो इस दौरान कुछ बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा बोलें।

:- इस्लाम के अनुसार पांच बातें करने पर रोजा टूटा हुआ माना जाता है। इनमें बदनामी करना, लालच करना, पीठ पीछे बुराई करना, झूठ बोलना और झूठी कसम खाना शामिल है। 

:- रोजे के दौरान औरत के लिए मन में बुरे विचार या शारीरिक संबंधों के बारे में सोचने पर भी मनाही होती है। 

:- रमजान के महीने में ज्यादा-से-ज्यादा इबादत करें, अल्लाह को राजी करना चाहिए, क्योंकि इस महीने में हर नेक काम का सवाब बढ़ा दिया जाता है।

:- रोजे का मुख्य नियम यह है कि रोजा रखने वाला मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के दौरान कुछ भी न खाए। इनमें सहरी, रोजे का अहम हिस्सा है। सहरी का मतलब, सूरज निकलने से पहले ही उठकर रोजदार खाना-पीना करें। सूरज उगने के बाद रोजदार सहरी नहीं ले सकते।  

:- सहरी की ही तरह रोजे का दूसरा अहम हिस्सा है इफ्तार। सहरी के बाद सूर्यास्त तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है। सूरज अस्त हो जाने के बाद रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं।

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