रंगभरी एकादशी आज : यहां हाेगा शिव का गाैना, अब होली तक उड़ेगा गुलाल

रंगभरी एकादशी आज : यहां हाेगा शिव का गाैना, अब होली तक उड़ेगा गुलाल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-26 02:31 GMT
रंगभरी एकादशी आज : यहां हाेगा शिव का गाैना, अब होली तक उड़ेगा गुलाल

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रंगभरी एकादशी, फाल्गुन शुक्ल पक्ष पर आने वाले इस दिन का विशेष महत्व है। इस वर्ष रंगभरी एकादशी 26 फरवरी 2018 को मनाई जा रही है। रंगभरी एकादशी वैसे तो परंपरागत तरीके से पूरे देश में मनाई जाती है, किंतु इसका सर्वाधिक उत्साह काशी में देखने मिलता है। पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है कि यही वह दिन है जब बाबा विश्वनाथ माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार काशी आए थे। काशी में यह दिन हर्षोल्लास से मनाया जाता है। काशी महादेव की प्रिय नगरी मानी जाती है ऐसा भी कहा जाता है कि काशी शिव के त्रिशूल पर बसी है। 


विष्णु-शिव और माता पार्वती की पूजा
पौराणिक परंपरा के अनुसार इस दिन भगवान शिव का गाैना हुआ था। रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव के पूरे परिवार की चल प्रतिमाएं विश्वनाथ मंदिर में लायी जाती हैं और बाबा विश्वनाथ मंगल वाध्ययंत्रों की ध्वनि के बीच नगर भ्रमण पर निकलकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इस बार इसी दिन आमलाकी ग्यारस भी है। अर्थात यह दिन भगवान विष्णु और शिव-पार्वती को समर्पित है। जिससे इस दिन बने दुर्लभ संयोग का लाभ भक्तों को अवश्य ही मिलेगा। 

 

 

साक्षात विराजमान हैं बाबा विश्वनाथ
रंगभरी ग्यारस काशी में मां पार्वती के प्रथम स्वागत का सूचक भी है। जिसकी वजह से शिव-पार्वती के आगमन की खुशी में इस दिन को धूमधाम से रंग-गुलाल उड़ाकर मनाया जाता है। महादेव की जयकार से चारों दिशाएं गुंजायमान हो उठती हैं। मान्यता है कि काशी में बाबा विश्वनाथ साक्षात विराजमान हैं, जिसकी वजह से इस त्योहार की खुशियां अधिक होती हैं। शिव को इस अवसर पर रंग-गुलाल सपरिवार चढ़ाया जाता है। 

 

 

6 दिनों तक चलता है भव्य उत्सव
रंगभरी ग्यारस से वाराणसी में होली के त्योहार का सिलसिला प्रारंभ होता है। इसके उपरांत लगातार 6 दिनों तक रंग-गुलाल से यहां की गलियां रंगीन नजर आती हैं। हर दिन उत्सव का माहौल होता है। सभी आपस में मिलकर खुशियां मनाते एवं भगवान शिव एवं माता पार्वती का आशीर्वाद लेने आते हैं। ब्रज के बाद यदि कहीं की पौराणिक और परंपरागत होली प्रसिद्ध है तो वह है भगवान काशी की। रंगभरी ग्यारस का उत्सव सर्वाधिक प्रचलित त्योहारों में से एक है। 

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