''रंगभरी एकादशी'' पर ऐसे करें ''बाबा विश्वनाथ'' की पूजा, मिलेगा ये फल

''रंगभरी एकादशी'' पर ऐसे करें ''बाबा विश्वनाथ'' की पूजा, मिलेगा ये फल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-24 02:53 GMT

 

डिजिटल डेस्क, वाराणसी। रंगभरी एकादशी, नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन से मंगल कार्यों का प्रारंभ करने से सबकुछ मंगल ही मंगल होता है। इस वजह से भी इसका विशेष महत्व है। 


यदि आप इस दिन का पूरा उल्लास बटोरना चाहते हैं और महादेव की महिमा को नजदीक से जानना चाहते हैं तो काशी से अच्छा दूसरा स्थान नही हो सकता। काशी बनारस में इस त्योहार की खुशियां सबसे अलग तरीके और पौराणिक विधि-विधान से देखने मिलती हैं। यहां हम आपको इस दिन की पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आप कहीं भी रहकर पूर्ण कर सकते हैं। 

 

 

पूजा विधि और फल

-सबसे पहले सुबह ब्रम्हमुहूर्त में स्नान करें और शिव-पार्वती का स्मरण करें। 

-शिव-पार्वती का पूजन उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ करने के साथ ही उन्हें गुलाल लगाएं। ऐसा करने से आपके परिवार में भी खुशियां आती हैं और लंबे समय से रुके कार्य बनने लगते हैं। 

-वैसे तो आमतौर पर शिव मंत्र का जाप किया जा सकता है और ये फलदायी होता है, किंतु इस दिन भगवान शंकर का ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप उत्तम बताया गया है। 

-इस दिन जोड़े में शिव-पार्वती की पूजा करने से दंपत्ति को वैवाहिक जीवन की समस्त खुशियां प्राप्त होती हैं। 

 

 

-संतान की समृद्धि और उन्नति के लिए भी इस दिन महादेव की पूजा उत्तम बतायी गई है। 

-ऐसी भी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के शुभ अवसर पर बाबा विश्वनाथ के दरबार में दर्शन करने से नवदंपत्ति को जीवन के समस्त सुख प्राप्त होते हैं। 

 

 

-रंगभरी एकादशी को काशी में मां पार्वती के शिव के साथ पहली बार अागमन के उपक्ष्य में मनाया जाता है। अतः इस दिन काे गृह प्रवेश के लिए सर्वाधिक उत्तम माना जाता है। क्याेंकि काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर ही बसी मानी जाती है।

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